भारतीय संस्कृति
खण्ड: 1
भारत की भौगोलिक और प्राकृतिक स्थिति
भौगोलिक स्थिति, ब्रह्मावर्त, ब्रह्मर्षिदेश, मध्यदेश, आर्यावर्त, अन्य जनपद, भारतवर्ष, कविराज राजशेखर द्वारा वर्णित भारत की भौगोलिक स्थिति, पूर्वांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल, उत्तरांचल , मध्यदेश, अन्तर्वेदी, प्राकृतिक स्थिति
भारत के सांस्कृतिक इतिहास की पृष्ठभूमि
इतिहास के स्त्रोत, साहित्यिक सामग्री, इतिहास-लेखन एक दुष्कर कार्य, इतिहास -लेखन का दृष्टिकोण, पुरातात्विक सामग्री, अभिलेख और उनके विभिन्न रूप, शिलालेख, स्तम्भलेख, मूर्तिलेख, स्तूपलेख, गुफालेख, ताम्रलेख(दानपत्र), मुद्रालेख, मुहरलेख, वेदिकालेख, अभिलेखों का महत्व , विदेशी पर्यटकों के भ्रमण-वृतान्त, यूनानी पर्यटक, चीनी पर्यटक, रोमन पर्यटक, परवर्ती मुस्लिम पर्यटक, निष्कर्ष
भारतीय संस्कृति और उसकी परम्परा
सांस्कृतिक अवधारणा के आधार, संस्कृति का स्वरूप, भारतीय संस्कृति का विकास, विश्व संस्कृति के सन्दर्भ में भारतीय संस्कृति, संस्कृति और सभ्यता, संस्कृति और धर्म, संस्कृति और दर्शन
खण्ड: 2
प्रागैतिहासिक युग
प्राक् इतिहास की प्रमाण सामग्री, मानव सभ्यता का उदय, पाषाणयुगीन सभ्यता-संस्कृति का विकास, धातुयुगीन सभ्यता-संस्कृति, पूर्वातिहासिक भित्तिचित्र
सिन्धु सभ्यता का युग
सिन्धु सभ्यता की पृष्ठभूमि, भारतीय भू-खण्ड में प्रवेश करने वाली आदिम जातियाँ, सिन्धु सभ्यता, धर्म, कलानुराग, नृत्य और संगीत कलाएँ, श्रृंगार: प्रसाधन, मनोविनोद, शिक्षा, सिन्धु लिपि, सिन्धु संस्कृति पर वैदिक संस्कृति का प्रभाव
सिन्धुवासियों और वैदिकों का सांस्कृतिक समन्वय
वैदिक संस्कृति की पृष्ठभूमि, दस्यु: दास: ब्रात्य, आर्यों और आर्येतर जातियों का सांस्कृतिक समन्वय, आर्य और आर्येतर संस्कृतियों के समन्वय का प्रतीक: शिव
वैदिक युग
मन्त्र संहिताएँ, ऋग्वेद संहिता, यजुर्वेद संहिता, सामवेद संहिता, अर्थर्ववेद संहिता, अथर्ववेद की पृथक्ता का आधार, वैदिक साहित्य, विभिन्न मंत्र संहिताओं से सम्बद्ध ब्राह्मण, आरण्यक ग्रन्थ, उपनिशद् उपनिशदों द्वारा समश्टिमय एकता की स्थापना, उपनिशदों की संख्या, उपनिशदों के रचनाकाल की मर्यादा, उपनिशदों का विष्व साहित्य में महत्व , षड्वेदांग, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्क्त, छन्द, ज्योतिष, परवर्ती वैदिक साहित्य, अनुक्रमणी, बृहद्देवता, कोष, तत्कालीन, सामाजिक जीवन का चित्रण, देवता, आश्रम और उनके कर्तव्य, ब्रह्मचर्याश्रम, गृहस्थाश्रम, वान प्रस्थाश्रम, संन्यासाश्रम आश्रमों के कर्तव्य , वर्ण-व्यवस्था, आचार, संस्कार, षोडश स्मार्त संस्कार गृहस्थ जीवन के अनिवार्य कर्तव्य , विवाह संस्था, सामाजिक स्थिति, न्याय और शासन, जनतंत्र की जननी वैदिक परिषदें
पुराणों और महाकाव्यों का युग
पुराणों और महाकाव्यों की संस्कृति, पुराणों द्वारा वैदिक संस्कृति का सामाजिकरण, महाकाव्यों की संस्कृति, रामायण, महाभारत, महाकाव्ययुगीन कला, महाकाव्ययुगीन संगीत
बौद्धधर्म और जैनधर्म का उदय
बौद्धधर्म, बौद्धधर्म के पन्थ, बौद्धधर्म का वैदिक धर्म पर प्रभाव, बौद्धकला और उसके मानव मंगलकारी सन्देशों का प्रसार, बौद्धकला में लोकानुराग। जैनधर्म, जैनधर्म के प्रमुख दो सम्प्रदाय, धर्मसंघ, जैनधर्म और बौद्धधर्म की एकता, जैनकला, जैन चित्रकला का रचना- विधान, जैन कला में लोकानुराग
महाजनपद युग
राष्ट्र का संगठन, राष्ट्र, जनपद और देश, अंग, अन्ध्र, कम्बोज , काशी काष्य या काशि, कीटक, कुरु, कैकय, कोसल, गन्धार या गन्धारि, चेदि, पांचाल, पुण्ड्र, भरत, मगध, मत्स्य, मद्र या मद्रक, महावृश, वंश-उशीनर, विदर्भ, विदेह, जनपदों का परवर्ती विकास: जनपद, राष्ट्र का उदय, राष्ट्र का संगठन, बौद्धयुग के पाँच बड़े कोसल, अवन्ति, वंस या वत्स, मगध, वैशाली
मगध की शासन परम्परा और मौर्ययुग
मगध साम्राज्य और उसकी परम्परा, अजातशत्रु की प्रथम बौद्ध संगीति, अजातशत्रु के बाद मगध जनपद, कालाशोक और उसके दस पुत्र, कालाशोक की द्वितीय बौद्ध संगीति, नन्दवंश, सिकन्दर का आक्रमण, मौर्य साम्राज्य, चन्द्रगुप्त, बिन्दुसार, अशोक, अशोक के अभिलेख, अशोक की तृतीय बौद्ध संगीति, जैन साहित्य, ब्राह्मण साहित्य, मौर्य साम्राज्य की सुदृढ़ता के आधार, धर्म-निरपेक्षता, कर्मनिरपेक्षता, कौटिल्य का अर्थशास्त्र: मौर्ययुग का विश्वकोष, संघराज्य, राष्ट्र संगठन, शासन, राजदूत और गुप्तचर, समाज व्यवस्था, व्यापारिक तथा आर्थिक स्थिति, मौर्ययुगीन भारत में कला का पुनरुत्थान, रामपुरवा का वृषभ, पटखम का यक्ष, भारत का राष्ट्रीय प्रतीक: सारनाथ का सिंहशीर्ष, मौर्यकला का प्रभाव
शुंग युग
शुंग शासक, पौराणिक भागवतधर्म की प्रतिष्ठा, साहित्य निर्माण, संस्कृत का पुनरुत्थान, शुंग युग के सांस्कृतिक नवजागरण का प्रतीक: मृच्छकटिक, शुंगों का कलानुराग, शुंगों का सांस्कृतिक समन्वय, कालिदास की कृतियों में भारतीय संस्कृति का दिग्दर्शन
सातवाहन युग
सातवाहन साम्राज्य, सातवाहन शासक, शासन व्यवस्था, सामाजिक स्थिति, धार्मिक स्थिति, आर्थिक स्थिति, व्यापार और उद्योग, साहित्य-निर्माण, गाथा सप्तशती, बृहत्कथा, नाट्यशास्त्र, नागार्जुन, कामसूत्र, अन्य साहित्य, कला की अभ्युन्नति, स्थापत्य, मूर्तिकला, मृण्मूर्तियाँ, चित्रकला, संगीत: नृत्य
ग्रीक युग
ग्रीक शासक, यवनों का सांस्कृतिक समन्वय, क्षत्रप वंश, शक क्षत्रपों द्वारा भारतीय संस्कृति का वरण
कुषाण युग
कुषाण शासक और कनिष्क, कनिष्क की चतुर्थ बौद्ध संगीति, गान्धार शैली का चरमोत्कर्ष, नागार्जुन, चरक, कुमारलात, आर्यदेव, कनिष्क के सांस्कृतिक समन्वय का दीपक: अश्वघोष
गुप्त युग
मगध का पुनरुत्थान, श्रीगुप्त घटोत्कचगुप्त, चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, रामगुप्त, चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य, कुमारगुप्त महेन्द्राद्रित्य, स्कन्दगुप्त विक्रमादित्य, पुरुगुप्त प्रकाशादित्य, गुप्तवंश के उत्तराधिकारी , गुप्त-सम्राटों का वंश-क्रम, भारतीय इतिहास का स्वर्णयुग, गुप्त सम्राटों का संस्कृतानुराग, बौद्धों की संस्कृतप्रियता, संस्कृत साहित्य का नवोत्थान, दर्शनशास्त्र, विज्ञान साहित्य, पुरुषार्थ साहित्य, धार्मिक साहित्य, काव्य साहित्य, भागवतधर्म की पुनः प्रतिष्ठा, नालन्दा विश्वविद्यालय, कला-निर्माण, अजन्ता, कला के लक्षणग्रन्थ,वाकाटक वंश, वाकाटकों की सांस्कृतिक उपलब्धि
राजपूत युग
गुप्तोत्तर भारत, हर्षवंश, हर्ष की विद्वता और विद्वत्प्रियता, हर्षयुगीन कला, ह्वैन-सांग, हर्षयुगीन भारत का विश्वकोष: हर्षचरित सुबन्धु और दण्डी, हर्ष के उत्तराधिकारी , मौखरी वंश, भवभूति, आयुधवंश, प्रतिहारवंश, राजशेखर, राष्ट्रकूटवंश, श्रीहर्ष, एलोरा, परमारवंश, भोजशाला, भोज का समरांगणसूत्रधार, चैहानवंश, गहलोतवंश तथा सिसोदियावंश
पूर्व और पश्चिमोत्तर के राजवंश (गुप्तोत्तर)
पूर्वी सीमा के राजवंश, ठाकुरीवंश, पालवंश, पाल शासकों द्वारा संरक्षित संस्कृति और कला, सेनवंश, जयदेव का गीतगोविन्द, पश्चिमोत्तर सीमा के राजवंश, रायवंश, शाहीयवंश, करकोटकवंश, उत्पलवंश, कल्हण की राजतरंगिणी
दक्षिण भारत के राजवंशों की सांस्कृतिक उपलब्धि
दक्षिण भारत के राजवंश, कलिंग का चेदिवंश, गंगवंश, कोणार्क का सूर्य मंदिर, पल्लववंश, संस्कृतप्रियता, धार्मिक उदारता, कलाप्रियता, सितनवासल, चोल राजवंश, चोलयुगीन संस्कृति, चालुक्यवंश, वातापि के चालुक्य, कल्याण के चालुक्य, सोमेश्वर का मानसोल्लास, अनहिलवाड (गुजरात) के चालुक्य, हेमचन्द्र, चालुक्ययुगीन संस्कृति एलीफैण्टा, बादामी, दक्षिण चित्रशैली, दक्षिण के सुल्तानों द्वारा संरक्षित कला
भारत का वैचारिक एवं धार्मिक अभ्युदय
सांस्कृतिक नवोत्थान के निर्माता शंकराचार्य, तान्त्रिक उपासना और तन्त्रवाद का उदय, सिद्धों की परम्परा, वज्रयान, नाथपन्थ, सहजयान, वाममार्गी तन्त्रवाद का उदय, सहजयान की विकृतावस्था, कापालिक, नीलपट सम्प्रदाय, वाममार्ग से प्रभावित कामसमन्वित श्रृंगारमूर्तियाँ, मध्ययुगीन संस्कृति की अन्त चेतना का स्त्रोत: भक्ति आन्दोलन, रामानुजाचार्य, रामानन्द, भक्ति की विभिन्न धाराओं का उदय, कामदेव, रामानन्द की परम्परा, कबीर, नानक, दादू स्वामी प्राणनाथ, प्रेममार्गी सूफी शाखा, रामभक्ति शाखा, कृष्णभक्ति शाखा
खण्ड: 3
एशिया भू-खण्ड में भारतीय संस्कृति का प्रसार
द्वीपांतरों में भारतीय संस्कृति
बृहत्तोर भारत, एशिया माइनर, मलयदेश, जावा, सुमात्रा, श्रीलंका, वर्मा, इण्डोनेशिया, बाली, बोर्नियो, चम्पा, ख्मेर, पगान, स्याम, कम्बोडिया, सूरीनाम द्वीप
एशियायी सांस्कृतिक एकता का सेतु: बौद्धधर्म
बौद्धधर्म और उसका प्रसार, उत्तर-पश्चिम, खुŸान, तुरफान और कुच, कोरिया, तिब्बत, तिब्बत को दीपंकर श्रीज्ञान की देन, तिब्बत से भारत के सांस्कृतिक सम्बन्ध, चीन, नेपाल, जापान, सिक्किम, भूटान
प्राचीन भारत का सांस्कृतिक इतिहास
भारत-भूमि और उसके निवासी
भारत-भूमि और इसका सामान्य परिचय; (क) भारतवर्ष की सीमाएँ, (ख) भारतवर्ष का भौगोलिक विभाजन, भारत की आदिम जातियाँ; भारतीय संस्कृति के मूल तत्व ; भारतवर्ष की आधारभूत एकता ;पद्ध भौगोलिक सीमाएं, ;पपद्ध धर्म और संस्कृति, ;पपपद्ध तीर्थ;पअद्ध संस्कृत भाषा, ;अद्ध जातीय एकता, ;अपद्ध राजनैतिक एकता
पूर्व-वैदिक सभ्यताएं और आर्य सभ्यता का विकास
प्रस्तर युग; ;पद्ध प्राचीन प्रस्तरयुग, ;पपद्ध मध्य प्रस्तर युग, ;पपपद्ध नूतन प्रस्तर युग, धातुयुग; सिन्धु घाटी के सभ्यता; ;पद्ध नगर-योजना ;पपद्ध भवन निर्माण ;पपपद्ध कला ;पअद्ध लिपि ;अद्ध धर्म ;अपद्ध व्यवसाय ;अपपद्ध मुद्रा ;अपपपद्ध तोल और माप ;पगद्ध धातुओं का प्रयोग ;गद्ध वेश-भूषा ;गपद्ध भोजन ;गपपद्ध मनोरंजन ;गपपपद्ध शासन-प्रबन्ध ;गपअद्ध सिन्धु-सभ्यता के निवासी ;गअद्ध सिन्धु सभ्यता का अंत, आर्य जाति तथा उसका भारतवर्ष में प्रवेश ;पद्ध आर्य जाति का मूल स्थान: (क) मध्य एशिया, (ख) सप्त-सैन्धव, (ग) दक्षिणी रूस (घ) डैन्यूब नदी की घाटी (ङ) उत्तरी ध्रुव (च) अन्य स्थान ;पपद्ध आर्य जाति का प्रसार ;पपपद्ध भारतवर्ष में आर्यों का प्रवेश ;पअद्ध आर्य-द्रविड़ संबंध
प्राचीन भारत की साहित्यिक परम्पराएं
वैदिक साहित्य; (1) ऋग्वेद से सम्बन्धित साहित्य (2) यजुर्वेद से सम्बन्धित साहित्य (3) सामवेद से सम्बन्धित साहित्य (4) अथर्ववेद से सम्बन्धित साहित्यए ;पद्ध वैदिक साहित्य की कुछ प्रमुख विशेषताएं ;पपद्ध वैदिक संहिताएं ;पपपद्ध उपवेद ;पअद्ध ब्राह्मण ग्रन्थ ;अद्ध आरण्यक ग्रन्थ ;अपद्ध उपनिषद् ;अपपद्ध वेदांग ;अपपपद्ध अनुक्रमणियाँ ;पगद्ध बृहददेवता संस्कृत भाषा और उसका साहित्य; रामायण, महाभारत, पुराण, ऐतिहासिक काव्यों का लेखन और प्रमुख ऐतिहासिक काव्य, गीतिकाव्यों का विकास और प्रमुख गीतिकाव्य, नाटकों का उद्भव और प्रसिद्ध नाटककार, गद्यकाव्य का विकास और प्रसिद्ध गद्यकाव्यकार, कथा साहित्य, चम्पू साहित्य, पालि भाषा और उसका साहित्य; पालि साहित्य; (1) त्रिपिटक (2) अट्टकहा (3) जातक कथाएं (4) काव्य-इतिहास-ग्रन्थ, पालि के व्याकरण-ग्रन्थ, पालि के कोष तथा अन्य ग्रन्थ, प्राकृत साहित्य; जैन धार्मिक साहित्य, कथा-काव्य साहित्य
शास्त्रीय ग्रन्थों की रचना
आयुर्वेद, चरक-संहिता, भेल-संहिता, सुश्रुत संहिता बाबर की हस्तलिखित पाण्डुलिपियां, अष्टांग-संग्रह, अष्टांग हृदय, काश्यप-संहिता, शागंधर संहिता (शार्गंधर पद्धति) माधवनिदान, सिद्धयोग, मध्ययुग के टीकाकार, चिकित्साकलिका, भावप्रकाश संहिता, टोडरानन्द (आयुर्वेद सौख्य), निघण्टुख रसायनशास्त्र; रसरत्नाकर, रस हृदयतन्त्र, रसन्द्र चूड़ामणि, रस प्रकाश सुधाकर, रसार्णव, रसराजलक्ष्मी, रसेन्द्रसार-संग्रह, रसरत्न, समुच्चय, रस-रत्नाकर, रसेन्द्र चिन्तामणि, रससार, ज्योतिष-गणित-फलित ज्योतिष; आर्य भट्ट प्रथम वराहमिहिर, लाटदेव, भास्कराचार्य प्रथम, ब्रह्मगुप्त, कल्याण वर्मा, लल्ल, आर्यभट्ट द्वितीय मुञजाल, उत्पल, पृथूदक स्वामी, श्रीपति, शतानन्द, भास्कराचार्य द्वितीय, बल्लाल सेन, केशवार्क, ज्योतिर्विदाभरण, महेन्द्र सूरि, केशव, गणेश, दैवज्ञ, नीलकण्ठ, रामदैवज्ञ, कमलाकर, गणित शास्त्र; अंकगणित, बीजगणित, रेखागणित, फलित ज्योतिष; साहित्य शास्त्र; भरत, मेधाविन्, अग्निपुराण, विष्णु-धर्मोत्तर पुराण, भट्टि, भामह, दण्डी, उद्भट, वामन, रुद्र, रुद्रभट्ट, आनन्दवर्धन, मुकुल, भट्ट, भट्ट तौत, भट्टनायक, राजशेख्र, अभिनव, गुप्त कुन्तुक, महितभट्ट, भोजराज, क्षेमेन्द्र, मम्मट, रुय्यक, सागरनन्दी, वाग्भट प्रथम, वाग्भट द्वितीय, अमरचन्द्र, देवेश्वर, धनंजय, रामचन्द्र-गुणचन्द्र, जयदेव, विद्याधर, विद्यानाथ, विश्वनाथ, कविराज, केशव मिश्र, शारदातनय, सिंहभूपाल, भानुदत्त रूपगोस्वामी, कर्णपूर, कविचन्द्र, अप्पय दीक्षित, आशाधर भट्ट, पण्डितराज जगन्नाथ, नागेशभट्ट, विश्वेश्वर, नरसिंह, छन्दः-शास्त्र; पिंगल सूत्र (पिंगल छन्दःसूत्र), अग्निपुराण, भरतनाट्यशास्त्र, जानाश्रयी छन्दोविचिति, जयदेव छन्दः, छन्दोऽनुशासन, रत्नमंजूषा, वृत्तरत्नाकार , सुवृत्ततिलक , श्रुतबोध, छन्दोऽनुशासन, वाणीभूषण, छन्दोमंजरी,वृत्तमौक्तिक,वृत्तमुक्तावली, कोष; अमरकोष, अनेकार्थ समुच्चय, नाममाला, अनेकार्थ निघण्टु, त्रिकाण्डकोष, अमिधानमाला, वैजयन्ती, विश्वप्रकाश, नानार्थ-संग्रह, मेदिनीकोष, अनेकार्थकोष, अभिधान चिन्तामणि, नानार्थर्णवसंक्षेप, कल्पद्रुम कोष, शब्दरत्नसमन्वय कोष, शब्दरत्नाकर, नानार्थ, रत्नमाला, शारदीयाख्यानाममाला, नानार्थ मंजरी, कल्पतरु नाममालिका, एकाक्षर-द्वîक्षर नाममाला, आधुनिक कोष, व्याकरण शास्त्र; पाणिनिपूर्व वैयाकरण, पाणिनि, कात्यायन, पतंजलि, भर्तृहरि, जयादित्य और वामन, भागबृत्ति , शरणदेव, जिनेन्द्रबुद्धि, हरदत्त , रामचन्द्राचार्य, भट्टोजि दीक्षित, वरदराज, नारायण भट्ट, कोण्ड भट्ट, हरि दीक्षित, नागेश भट्ट, पाणिनीय व्याकरण के खिल ग्रन्थ, पाणिनीयेतर व्याकरण, कामशास्त्र; कामसूत्र, कुट्टनीमत, अनंगरंग, रतिरहस्य, कामसमूह, रतिरत्नप्रदीपिका, पंचसायक, संगीतशास्त्र; भरत नाट्यशास्त्र, संगीत रत्नाकर, संगीत चूडामणि, मानसोल्लास, नृत्तरत्नावली , संगीत समयसार, संगीत श्रृंगार, संगीतोपनिषद, संगीतराज, संगीत सर्वस्व, संगीत, मुक्तावली, स्वरमेलककलाविधि, रामनारायण, संगीत, दामोदर, धर्मशास्त्र; मनुस्मृति, याज्ञवल्क्यस्मृति, पराशरस्मृति, नारदस्मृति, बृहस्पतिस्मृति, टीकाएं, कल्पतरु, व्यवहारमातृका तथा दायभाग, स्मृत्यर्थसार, दानसागर, स्मृतिचन्द्रिका, चतुर्वर्गचूडामणि, पराशर माधवीय, वीरमित्रोदय, धर्मसिन्धुसार, अर्थशास्त्र, और दण्डनीति; कौटिल्य का अर्थशास्त्र, कामन्दकीय नीतिसार, नीतिवाक्यामृत, लघु अर्थनीति, अन्य वैज्ञानिक ग्रन्थ; धनुर्वेद, स्थापत्य विज्ञान, पशुविज्ञान: रत्नविज्ञान, चैर्यशास्त्र
दार्शनिक चिन्तन(आस्तिक दर्शन)
दार्शनिक चिन्तन का विकास; सांख्य दर्शन; सांख्य का नामकरण, सांख्यदर्शन के प्रर्वतक आचार्य, सांख्यदर्शन का विकास, सांख्यदर्शन के महत्व पूर्ण ग्रंथ, दर्शन और ईश्वर, सांख्यदर्शन के प्रतिपाद्य विषय, योगदर्शन; योग पद का अर्थ, सांख्य और योग, पतंजलि, योगसूत्र, योगसूत्र के प्रतिपाद्य विषय, न्यायदर्शन; न्यायदर्शन के प्रवर्तक, न्यायदर्शन के भाष्यकार, न्यायदर्शन की अन्य शाखाएं, न्यायदर्शन के प्रतिपाद्य विषय, न्यायदर्शन में ईश्वर, न्याय दर्शन में सृष्टि और प्रलय, वैशेषिक दर्शन; वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक, वैशेषिक और न्यायदर्शन, वैशेषिक साहित्य, वैशेषिक दर्शन के प्रतिपाद्य विषय, वैशेषिक दर्शन के कुछ अन्य सिद्धान्त, मीमांसादर्शन; मीमांसादर्शन के प्रवर्तक आचार्य जैमिनी, मीमांसादर्शन-विषयक साहित्य, मीमांसादर्शन के प्रतिपाद्य विषय, वेदान्तदर्शन; वेदान्तदर्शन के प्रमुख आचार्य और उनका साहित्य, वेदान्तदर्शन के प्रतिपाद्य विषय, वेदान्त महावाक्य वेदान्त के विभिन्न सम्प्रदाय, अन्य दार्शनिक विचारधाराएं; वैष्णवदर्शन, शैवदर्शन
धार्मिक मान्यताएं(भारतीय वैदिक धर्म और पौराणिक धर्म तथा सम्प्रदाय)
धर्म का स्वरूप और उपादान; धर्म का स्वरूप, धर्म के उपादान और प्रमाण, वैदिक धर्म; वैदिकोŸार धर्मों का उद्भव और विकास; पाशुपत सम्प्रदाय, कापालिक-सम्प्रदाय, नटराज-सम्प्रदाय, शिवभागवत-सम्प्रदाय, जंगम-सम्प्रदाय, लिंगायत-सम्प्रदाय, मल्लारिसम्प्रदाय, शाक्त सम्प्रदाय; शैव शाक्त तान्त्रिक सम्प्रदाय; गाणपत सम्प्रदाय; कार्तिकेय सम्प्रदाय; सौर सम्प्रदाय; अन्य देवताओं की उपासना; देवता, नारी देवता, अर्ध-देवता, स्थानीय देवता, तिर्यक्-देवता, अमूर्त देवता, धार्मिक कर्मकाण्ड; यज्ञ, इष्टापूर्त कर्म, दान, तीर्थयात्रा, तप, भक्ति, और भजन कीर्तन
वैदिकेतर धर्म और दर्शन(बौद्ध,जैन और चार्वाक)
बौद्ध धर्म और दर्शन; गौतम बुद्ध की प्रमुख शिक्षाएं, बौद्ध संघ, बौद्ध धर्म का विकास और प्रचार, दार्शनिक विचारधाराएं, दार्शनिक विकास, बौद्धों के धार्मिक सम्प्रदाय, बौद्ध धर्म का ह्रास, जैन धर्म और दर्शन; जैन तीर्थंकर, जैन सम्प्रदाय, जैन आगम ग्रन्थ , जैन दर्शन के प्रसिद्ध लेखक, जैन दर्शन में तत्व -समीक्षा, जैन दर्शन में ज्ञान और प्रमाण-मीमांसा, नयवाद, स्याद्वाद अथवा अनेकान्तवाद, जैन की आधार-मीमांसा, जैन धर्म का प्रचार औरहास , चार्वाक दर्शन के प्रवर्तक, चार्वाकों के ग्रन्थ , चार्वाकों का व्यावहारिक सिद्धान्त, चार्वाक-मत में प्रमाण-मीमांसा, चार्वाक दर्शन में तत्व -मीमांसा, चार्वाक मत काहास
पारिवारिक जीवन
भारतीय परिवार का उद्गम और स्वरूप; परिवार के उद्देश्य, संयुक्त परिवार प्रथा; परिवार का विभाजन; परिवार के सदस्य; पिता और माता, पति-पत्नि, नारी के अधिकारों की हीनता, पत्नी का सम्मान, पत्नी का कर्तव्य , एकपत्नीव्रत तथा बहुविवाह, विवाह-विच्छेद, पातिव्रत्य, पुत्र, पुत्र का कर्तव्य , पुत्री, पुत्र-वधू, अपत्यकृतिका, कृतकपुत्र, क्षेत्रज पुत्र, भाई, बहन, देवर-भाभी, परिवार के अन्य सदस्य, भृत्य और दास; दास प्रथा; परिवार में गृहस्थी के कर्तव्य ; पंचमहायज्ञ, अध्ययन तथा धनोपार्जन, संतोनोत्पत्ति , दान, पारिवारिक नित्य-कर्म; उत्तराधिकार; संस्कार; स्त्रियों और शूद्रों को संस्कार का अधिकार, अधिकारों की संख्या और वर्गीकरण, गर्भाधान, संस्कार, पुंसवन-संस्कार, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म-संस्कार, नामकरण-संस्कार, निष्क्रमण-संस्कार, अन्नप्राशन-संस्कार, चूड़ाकर्म-संस्कार, कर्णवेध-संस्कार, उपनयन-संस्कार, वेदारम्भ-संस्कार, समावर्तन-संस्कार, विवाह-संस्कार, विवाह-संस्कार की प्रक्रियायें; वानप्रस्थ-संस्कार, संन्यास-संस्कार, अन्त्येष्टि-संस्कार
सामाजिक संघटन(वर्ण-आश्रम-व्यवस्था)
वर्ण-व्यवस्था का आरम्भ; जाति और वर्ण का पारस्परिक सम्बन्ध; कर्म और जन्म के आधार पर वर्ण-व्यवस्था; वर्ण-परिवर्तन; आर्यों की वर्ण-व्यवस्था में आर्येतरों का स्थान; वर्णों के पारस्परिक सम्बन्ध; वर्णों में परस्पर विवाह-अनुलोम और प्रतिलोम विवाह; वर्णसंकरता, वर्णों के कर्तव्य ; ब्रह्मक्षत्र, वर्ण-व्यवस्था के गुण-दोष और उनकी उपयोगिता; आश्रम-व्यवस्था का विकास और उसके हेतु; ब्रह्मचर्य आश्रम और उसके कर्तव्य ; गृहस्थ-आश्रम, उसका महत्व और कर्तव्य ; अग्नि-स्थापना, वानप्रस्थ आश्रम; वानप्रस्थ आश्रम के प्रयोजन, जीवनयापन-विधि, संन्यास आश्रम; संन्यासी की जीवन-विधि, संन्यासी के चिन्ह्, संन्यासी की कर्मनिष्ठा, आश्रम-व्यवस्था की उपादेयता
शिक्षा प्रणाली
ज्ञान का महत्व ; विद्यार्थियों का गुरु की सेवा में आना; शिक्षा का प्रारम्भ; आचार्य और गुरु की योग्यता; आचार्य का सम्मान, शिक्षकों का वर्गीकरण, आचार्य और शिष्य के सम्बन्ध; अनुशासन, शिक्षा-शुल्क, शिक्षा के विषय; शिक्षा-विधि; शिक्षा-सत्र और अनध्याय; स्त्री-शिक्षा; सह शिक्षा; गुरुकुलों का विकास; प्राचीन गुरुकुल; प्राचीन गुरुकुलों में विद्यार्थियों का रहन-सहन; भिक्षाचर्या, ब्रह्मचारियों के लिए वस्त्र आदि बाह्य परिच्छेद; प्राचीन समय के कुछ प्रसिद्ध विश्वविद्यालय; तक्षशिला विश्वविद्यालय, नालन्दा विश्वविद्यालय, विक्रमशील विश्वविद्यालय, उड्डयन्तपुर विश्वविद्यालय, वलभी विश्वविद्यालय, लिपि की उत्त्पत्ति और भारतीय लिपियाँ; भारतवर्ष में लिपियाँ और लेखन, लिपि का सामान्य विकास, भारतीय लिपियाँ, लेखन सामग्री, लिपिबद्ध करना।
आजीविका के साधन
कृषि; कृषि का आरम्भ और महत्व , कृषि के साधन और तरीके, भूमि का स्वामित्व, सिंचाई के साधन, ग्राम्य भूमि, कृषि का वर्गीकरण और वैज्ञानिक प्रयोग, कृषिजन्य पदार्थ, उद्यान, कृषि के लिए राजकीय संरक्षण, कृषि-कर, पशुपालन; गाय, अश्व, हाथी, अन्य पशु, राजकीय संरक्षण, वाणिज्य और उद्योग; वाणिज्य का महत्व और विकास, उद्योग, स्थानीय व्यापार, अन्तर्देशीय व्यापार, विदेशी व्यापार, आयात-निर्यात की वस्तुयें, आयात-निर्यात पर नियंत्रण, आवागमन के साधन और मार्ग, राजकीय व्यापार, राजकीय प्रोत्साहन, व्यापारिक सुरक्षा, वस्तुओं के मूल्य और उन पर नियंत्रण, व्यापार पर कर, कुसीद, औद्योगिक और व्यापारिक संघ, तोल और माप, कलिंग मान, मगध मान, सिक्के
उपभोग के साधन और मनोरंजन
भोजन; भोजनों को वर्गीकरण, वनस्पतिज भोजन, खनिज भोजन, प्राणिज भोजन, पेय पदार्थ, भोजन पकाने की कला, भोजन के सम्बन्ध में कुद विशेष विचार, वस्त्र, वस्त्रों के उपादान, सीने की कला, परिधानों के रूप, वस्त्रों की रंगाई, छपाई और कढ़ाई, प्रसाधन और आभूषण; प्रसाधन की प्रक्रियायें, केशों का प्रसाधन, आभूषण, नगर-विन्यास; नगर-रचना, नगरों के मार्ग, प्राकार और परिखा, सार्वजनिक स्थान, बाजार और दुकानें, नगरोद्यान, आवासों की रचना; विभिन्न प्रकार के आवास, अन्तः पुर दरवाजे, खिड़कियां तथा झरोखे, घरों में बनाये जाने वाले विभिन्न कक्ष और अन्य रचनायें, गृह-सम्बन्धी अन्य रचनायें, अन्य राजकीय भवन और रचनायें, पशु-पक्षियोें के आवास, गृहोद्यान, जल का प्रबन्ध; घरों की सजावट और गृहोपस्कर; गृहोपस्कर, स्वास्थ्यरक्षा के उपाय; प्रातःकाल उठना, दन्त-धावन, व्यायाम, मालिश करना, केश आदि कटवाना, स्नान करना, स्नानोत्तर कार्य, मनोरंजन के साधन; संगीत, नृत्य और अभिनय, मैदानों के खेल, समाज और गोष्ठियाँ समापानक, विहार, वारांगनायें, म्रगया (शिकार), द्यूत (जुआ खेलना), इन्द्रजाल (जादू के खेल), सर्प के खेल, वानर का खेल, प्रेक्षणक (खेल-तमाशे), बालक-बालिकाओं की क्रीड़ायें, महिलाओं की क्रीड़ायें, ऋतु-उत्सव, मनोविनोद के अन्य साधन
ललित कलायें
कलाओं का विकास और कला की परिभाषा; ‘कला’ पद की परिभाषा, कलाओं का वर्गीकरण; निष्पादन कलायें; नाट्य का महत्व , नाट्यशस्त्र के आदि-आचार्य भरत, अभिनय के संचालक, नाट्य-रचना, नाट्य का अभिनय, संगीत; नृत्य, गीत, वाद्य, वीणा, चाक्षुष कलायें; चित्रकला; चित्रकला का महत्व , भारतवर्ष में चित्रकला, चित्रकला का विकास, चित्रों के भेद, चित्रों के अंग, चित्रों के गुण- दोष, चित्रों की शैलियां, भित्तिचित्र , चित्रकला के लिए भित्ति को तैयार करना, फलकचित्र, चित्र रचना की सामग्री, मूर्तिकला; मूर्तिकला का विकास, मूर्ति-रचना के उपादान, स्थापत्यकला; भारतीय स्थापत्य की परम्परा, भारतीय स्थापत्य का शास्त्रीय रूप, स्थापत्य के भेद, बौद्धवास्तु, मौर्ययुगीन स्थापत्य कला, शुंग-कुषाणकालीन स्थापत्य, गुप्तकालीन स्थापत्य, प्राचीन समय के कुछ प्रसिद्ध कला-केन्द्र; बराबर की पहाड़ी, नागार्जुनी की पहाड़ी, जूनागढ़ की गुहा, उदयगिरि (उड़ीसा) और खण्डगिरि, नासिक, भाजा, कार्ले, कोंडाने, उदयगिरि (विदिशा), बाघ, ऐलोरा, सारनाथ, भरहुत, सांची, तक्षशिला, अमरावती, नागार्जुनी कोंडा, पाटलिपुत्र, बेसनगर, अन्य कलायें; चैर्यकला
प्राचीन भारतीय शासन-व्यवस्था
शासन का उद्भव; राजा का निर्वाचन, अराजक दशा और मात्स्य न्याय, राजाओं के अधिकारों का विकास, राजा का देवत्व, शासन-संस्थाओं के विकास के विभिन्न क्रम; वैदिक-युग, रामायण-महाभारत-युग, पाण्डव-पक्ष, कौरव-पक्ष, बौद्ध-युग, कौटिल्य-युग, कौटिल्योत्तरवर्ती -युग, प्राचीन भारत के प्रमुख गणराज्य; शाक्य, भग्ग, कोलिय, बुलि, मोरिय और कालाम, कुशनारा के मल्ल, परक के मल्ल, लिच्छवि, विदेह, वज्जि, अम्बष्ठ, अरिष्ट, आग्रेय, आर्जुनायन, औदुत्बर, कठ, कुषिन्द, क्षत्रिय, क्षुद्रक, ग्लुचुकायन, पातानप्रस्थ, ब्राह्मणक, मद्र, महाराज, मालव, मुचुकर्ण, यौधेय, राजन्य, वसावि, वृष्णि, शिवि व सौभूवि
राज्य-प्रशासन
राजा; राजा के अधिकार, राजा के कर्तव्य , राजा के गुण और व्यक्तिगत विशेषताएं, राजा की दिनचर्या, मंत्री और मंत्रीमंडल; मंत्रियों की योग्यता, मंत्रियों की नियुक्ति और उनके प्रति राजा का व्यवहार, मंत्रियों के अधिकार और कार्य, मंत्रिपरिषद के सदस्य, ग्रामों और नगरों का शासन; राजकीय विभाग और शासन के पदाधिकारी; राजप्रासाद, सेना-विभाग, विदेश-विभाग, राजस्व-विभाग, विŸा-विभाग, उद्योग-विभाग, व्यापार-विभाग, न्याय-विभाग, आन्तरिक सुरक्षा-विभाग, धर्म-विभाग, कौटिल्य द्वारा निर्दिष्ट विभाग और अधिकारी; पुरोहित और मंत्री, समाहर्ता, सन्निधाता, सेनापति, युवराज, प्रदेष्टा, नायक, व्यावहारिक, कार्मान्तिक, मंत्री परिषद-अध्यक्ष दण्डपाल, अन्तपाल, दुर्गपाल, नागरक, प्रशास्ता, दौवारिक, आन्तर्वंशिक, आटविक, गुप्तचर और दूत; दूत, संदेशहरक, गुप्तचर, राजकीय आय-व्यय; कर-निर्धारण के सिद्धान्त, कर-मुक्त, संस्थायें, आय के स्त्रोत, पशु-कर, शिल्प-कर, आकर-कर, सन्तरण-कर, राजकीय व्यय, भारतीय राजशास्त्र के सिद्धान्त; राजा के लिए चिन्तनीय कर्म, षाड्गुण्य, चार उपाय, तीन शक्तियां, त्रिवर्ग, विविध नीतिशास्त्र, विविध प्रशासन और सिद्धि
न्याय-व्यवस्था और दण्ड-प्रणाली
विधि एवं विधिक संस्थायें; न्याय करने का सिद्धान्त; न्याय करने का उत्तरदायित्व; न्यायालयों का संगठन; न्यायाधीश, न्याय-समितियां और न्यायालय के अन्य कर्मचारी; न्यायाधीशों की योग्यता, न्यायसमिति, न्यायालय के कर्मचारी, पंचायत-प्रथा; न्यायालयों की कार्य-पद्धति और निर्णयों का कार्यान्वयन; विवादों का वर्गीकरण, विवादों का प्रस्तुत करने का क्रम, वाद प्रस्तुत करने की पद्धति, वाद की सूचना और सुनवाई, मुकद्दमे का जीतना-हारना, क्षिप्रकारिता, पुनर्विचार, न्यायालय के निर्णयों का कार्यान्वयन, विवादों के निर्णायक तत्व ; धर्मशास्त्र, परम्परायें, स्वत्वाधिकार, साक्ष्य, शपथ, न्यायालयों में भ्रष्टाचार और उसकी कठिनाइयां; दण्ड-प्रणाली; कैदियों की विमुक्ति, मृत्यु-दण्ड की विधियां
प्राचीन भारतीय युद्ध-व्यवस्था
प्राचीन भारतीय शासकों की युद्ध और शान्ति की नीतियां; युद्ध की आवश्यकता, सैन्य-संगठन; युद्ध-प्रणाली; शत्रुत्व तथा युद्ध के कारण; सुरक्षा-व्यवस्था; युद्धाचार; विजित शत्रु के प्रति व्यवहार; युद्ध-वाद्य; विजयोत्सव; युद्ध-सम्बन्धी लोक-विश्वास; आयुध
प्राचीन भारत के वैदेशिक सम्बन्ध
पश्चिमी देश; उत्तर-पश्चिमी देश; मध्य एशिया; उत्तर एशिया; दक्षिण-पूर्वी देश
प्राचीन भारतीय संस्कृति
सभ्यता और संस्कृति
सभ्यता और संस्कृति के अर्थ सम्बन्धी विभिन्न मत, संस्कृति का माक्र्सवादी, सिद्वान्त, माक्र्सवादी सिद्धान्त की आलोचना, संस्कृति का अर्थ और स्वरूप, सभ्यता का अर्थ, संस्कृति की सार्थकता, संस्कृति चरम मूल्य के रूप में; सभ्यता तथा संस्कृति में भेद; सभ्यता और संस्कृति का सम्बन्ध, व्यक्ति और संस्कृति, संस्कृति का विकास, भारतीय संस्कृति, भारतीय संस्कृति की विशेषताएँ
भारत की प्राकृतिक दशा और उसका प्रभाव
इतिहास पर प्राकृतिक दशा का प्रभाव, भारत और उसकी प्राकृतिक दशा, भारत के प्राकृतिक विभाग, हिमालय पर्वत और तराई का प्रदेश, हिमालय पर्वत का महत्व और प्रभाव, गंगा और उसकी सहायक नदियों का या उत्तरी भारत का मैदान और उसका प्रभाव, राजस्थान का मरुस्थल और उसका प्रभाव, विन्ध्याचल और सतपुड़ा का क्षेत्र और उसका प्रभाव, दक्षिण भारत का पठार और उसका प्रभाव, समुद्र-तट के मैदान, भारत के इतिहास पर भूगोल का या प्राकृतिक दशा का प्रभाव
भारत के निवासी, उनकी भाषाएँ और भारत की मौलिक एकता
भारत के निवासी और उनकी भाषाएँ, भारत में विभिन्न प्रजातियों का सम्मिश्रण, भारत की भाषाएँ, भारत की आधारभूत अखण्ड मौलिक एकता, विभिन्नताओं और विविधताओं का देश भारतवर्ष, सारभूत अखण्ड मौलिक एकता का अंग
भारतीय संस्कृति के प्रारम्भिक चरण
पृथ्वी की उत्त्पत्ति , अजोइक युग या अजीब चट्टान युग, प्रारम्भिक जीवयुग या पेलेजोइक युग, मध्य जीव युग या मेसोजोइक युग, नव जीव युग या केनोजोइक युग, हिमपातों का युग, प्रागैतिहासिक काल, भारत में पाषाणकालीन सभ्यता की खोज, प्राचीन पाषाण काल का पूर्वार्द्ध, प्राचीन पाषाणकाल का उत्तरार्द्ध, नवीन पाषाण-युग, धातु-काल
सिन्धु घाटी की सभ्यता
नदी घाटियों की सभ्यता, सिन्धु घाटी की सभ्यता की खोज, सिन्धु सभ्यता का विस्तार, सिन्धु सभ्यता के निर्माता और निवासी, सिन्धुु सभ्यता का काल, सिन्धु घाटी की सभ्यता के विभिन्न पहलू, सामाजिक जीवन, सुखशान्तिमय समृद्ध सामाजिक जीवन, ललित कलाएँ, आर्थिक जीवन, धार्मिक जीवन, सैंधव्य सभ्यता का धर्म और भारत का आधुनिक हिन्दूधर्म राजनीतिक जीवन, सिन्धु घाटी सभ्यता व संस्कृति का पाश्चात्य सभ्यता एवं संस्कृति से सम्बन्ध, सैंधव्य सभ्यता की मौलिक विशेषताएँ, सिन्धु घाटी की सभ्यता का विनाश, भारत की सैंधव्य सभ्यता व संस्कृति का प्रसार
भारत में आर्यों का प्रवेश और प्रसार
आर्यों के मूल निवास-स्थान, आर्यों के आदि-देश यूरोप के सिद्धान्त की आलोचना, आर्यों का आदि-देश एशिया, आर्यों का आदि-देश आर्कटिक प्रदेश या उत्तरी धु्रव प्रदेश, आर्यों का आदि-देश भारतवर्ष, विभिन्न मत, भारतवर्ष में आर्यों का आगमन, सप्त-सिन्धु प्रदेश में आर्यों का निवास, भारतवर्ष के अन्य क्षेत्रों में आर्यों का प्रसार, आर्यों का मूल निवास-स्थान
ऋग्वैदिक काल
आर्यों का साहित्य, वैदिक साहित्य, वेदों का अंग, वेदांग, सूत्र-ग्रन्थ, स्मृतियाँ, दर्शन ग्रन्थ, महाकाव्य, पुराण, आर्यों के साहित्य का महत्व , ऋग्वेद का रचना काल, वैदिक काल से तात्पर्य, वैदिक काल का विभाजन, ऋग्वैदिक काल या पूर्व-वैदिक काल का जीवन और संस्कृति, राजनीतिक व्यवस्था, सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, धार्मिक जीवन, ऋग्वैदिक धर्म की कुछ विशेषताएँ, ऋग्वैदिक काल की धार्मिक और दार्शनिक विचार-धाराएँ
उत्तर-वैदिक युग
उत्तर-वैदिक युग से तात्पर्य, आर्यों का विस्तार, उत्तर-वैदिककालीन जीवन और संस्कृति, राजनीतिक जीवन, सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, व्यावसायिक संगठन, धार्मिक जीवन, पूर्व-वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल के जीवन की तुलना, आर्यों की सभ्यता और सैंधव्य सभ्यता की तुलना-सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, साहित्य और कला, धार्मिक जीवन, राजनीतिक जीवन, इन सभ्यताओं की विशेषताएँ
सूत्रों का युग
सूत्र साहित्य की आवश्यकता, सूत्र-ग्रन्थ , सूत्र-ग्रंथों का युग, सूत्र-ग्रंथों का सांस्कृतिक महत्व, सूत्रों में वर्णित
सांस्कृतिक जीवन, आर्य संस्कृति का क्षेत्र, राजनीतिक दशा, सामाजिक दशा, आर्थिक दशा, धार्मिक दशा।
महाकाव्य युग की संस्कृति
महाकाव्य, रामायण का रचना काल, महाभारत का रचना काल रामायण और महाभारत का महत्व, रामायण की कथा, महाभारत की कथा, भगवद्गीता, महाकाव्य काल की सभ्यता और संस्कृति, राजनीतिक दशा, सामाजिक दशा, आर्थिक दशा, धार्मिक दशा, वैदिक काल और महाकाव्य काल की सभ्यता व संस्कृति की तुलना, राजनीतिक जीवन, सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, धार्मिक जीवन
धर्मशास्त्रों का युग
स्मृति ग्रन्थ या धर्मशास्त्र, स्मृति ग्रंथो का रचना-काल, धर्मशास्त्रों या स्मृति ग्रन्थों का सांस्कृतिक महत्व, स्मृति ग्रन्थों में वर्णित जीवन, राजनीतिक जीवन, सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, जाति-प्रथा, जाति-प्रथा की उत्त्पत्ति , जाति-प्रथा का विकास, जाति-प्रथा के गुण-अवगुण, जाति-प्रथा के अवगुण या हानियाँ, जाति-प्रथा का भविष्य
महाजनपदों का युग
महाजनपदों का प्रादुर्भाव, विभिन्न महाजनपद, बौद्ध साहित्य में वर्णित गणराज्य, गणराज्यों की शासन-व्यवस्था, गणतंत्र राज्यों के पतन के कारण
धार्मिक क्रान्ति और सुधारवादी सम्प्रदाय
क्रान्ति का अर्थ, ईसा पूर्व छठी शताब्दी धार्मिक क्रान्ति का युग, भारत में क्रान्ति का स्वरूप, क्रान्ति की विशेषताएँ, ईसा पूर्व छठी सदी में धार्मिक क्रान्ति के कारण, चतुर्दिक आंदोलन, जैन और बौद्ध धर्म हिन्दू धर्म के सुधारवादी सम्प्रदाय, बौद्ध धर्म के सिद्धान्तों व दर्शन का स्त्रोत उपनिषद
जैन धर्म
जैन धर्म की प्राचीनता, जैन धर्म के निग्र्रन्थ और तीर्थंकर, जैन धर्म के प्रवर्तक प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव, जैन धर्म के तेईसवें तीर्थकर पाश्र्वनाथ, पाश्र्वनाथ सिद्धान्त, वर्धमान महावीर, वर्धमान महावीर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व, वर्धमान महावीर के सिद्धान्त या जैन धर्म के सिद्धान्त, जैन संघ, जैन धर्मावलम्बियों में मतभेद और प्रथम जैन परिषद्, द्वितीय जैन परिषद्, जैन धर्म का प्रचार और प्रसार, जैन धर्म का सीमित क्षेत्र, भारतीय संस्कृति को जैन धर्म की देन, साहित्यिक देन, दार्शनिक देन, कला की देन
गौतम बुद्ध और उनके सिद्धान्त
गौतम बुद्ध का जीवन-चरित्र, बुद्ध के उपदेश और सिद्धान्त या बौद्ध धर्म के सिद्धान्त
बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म की विशेषताएँ, बौद्ध संघ, संघ के गुण-दोष और उसका महत्व, बौद्ध-धर्म के अधिवेशन या सभाएँ और प्रशाखाएँ, बौद्ध धार्मिक ग्रन्थ , बौद्ध धर्म का प्रसार, और उत्थान, सम्राटों और नरेशों द्वारा बौद्ध, धर्म का प्रचार, बौद्ध धर्म की सफलता और प्रगति के कारण, बौद्ध धर्म की अवनति के कारण, जैन धर्म और बौद्ध धर्म की तुलनात्मक विवेचना, विषमताएँ या असमानताएँ, जैन धर्म और बौद्ध धर्म की तुलना का सिंहावलोकन, असमानताएँ, बौद्ध स्तूप, बौद्ध गुफाएँ और चैत्य, बौद्ध मूर्तियाँ, बौद्ध चित्रकला, एशिया के अन्य देशों में बौद्ध कला, बौद्ध धर्म की भारतीय संस्कृति को देन
बौद्धकालीन संस्कृति या महाजनपद युग की संस्कृति
राजनीतिक जीवन सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, धार्मिक जीवन
भारतीय दर्शन
षड्दर्शन-न्याय, वैशेषिक न्याय और वैशेषिक दर्शन की तुलना, सांख्य, योगदर्शन, मीमांसा -पूर्व मीमांसा, उत्तर मीमांसा या वेदान्त, जैन दर्शन, जैन दर्शन के ग्रन्थ , जैन दर्शन प्रणाली, बौद्ध दर्षन, बौद्ध धर्म के प्रमुख चार सम्प्रदाय, बौद्ध दर्षन के भेद, सर्वास्तिवाद या वैभाषिक, सौत्रान्त्रिक, योगाचार या विज्ञानवाद, माध्यमिक दर्शन या शून्यवाद
भारत का ईरानी और यूनानी संस्कृतियों से सम्पर्क
भारत के सीमान्त क्षेत्र में फारसी या ईरानी आक्रमण, भारत पर ईरानियों के आधिपत्य का प्रभाव, भारत पर यूनानी आक्रमण या सिकन्दर महान का आक्रमण, सिकन्दर के आक्रमण का भारत पर प्रभाव, सिकन्दर का आक्रमण प्रभावहीन, सिकन्दर का प्रभावपूर्ण आक्रमण, सिकन्दर के आक्रमण के पश्चात् यूनानी सम्बन्ध, भारत पर यूनानी आक्रमण, भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमान्त क्षेत्र में विशाल यूनानी राज्य, मिनाण्डर या मिलिन्द, भारतीय संस्कृति पर यूनानियों का प्रभाव, यूनानियों पर भारत का प्रभाव, भारतीयों पर यूनानी प्रभाव, गांधार कला-शैली, भारतीय संस्कृति पर यूनानी प्रभाव की समीक्षा
मौर्य युग (ईसा पूर्व 322 से ईसा पूर्व 185 तक)
मौर्य युग, मौर्य का महत्व, मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य, बिन्दुसार, अशोक, विष्णुगुप्त, चाण्क्य, कौटिल्य, चाणक्य का अर्थशास्त्र, कौटिल्य के मतानुसार राज्य का स्वरूप, राज्य के कार्य, कौटिल्य का सम्प्रभुता का सिद्धान्त, कौटिल्य के अनुसार राजा और उसके कर्तव्य, कौटिल्य का महत्व और उसकी देन, मेगस्थनीज और उसके द्वारा भारत का वर्णन, मेगस्थनीज का विवरण, चन्द्रगुप्त मौर्य का शासन-प्रबन्ध, प्रान्तीय शासन, स्थानीय शासन, चन्द्रगुप्त के शासन का मूल्यांकन, अशोक और बौद्ध धर्म अशोक का धम्म (धर्म), अशोक के धम्म (धर्म) का स्वरूप, अशोक के धम्म की विशेषताएँ, अशोक की धार्मिक नीति, अशोक की धर्मविजय या बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अशोक के कार्य, परिणाम
मौर्य युग में जीवन और संस्कृति
सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, धार्मिक जीवन, मौर्य कला, नगर निर्माण, राजप्रासाद, स्तूप और चैत्य, पाषाण वेष्टिनी और वेदिका, गुहा गृह, पाषाण-स्तम्भ, मूर्तिकला प्रेक्षागृह, शिलालेख, मौर्य कला की विशिष्टताएँ
वैदिक प्रतिक्रिया और सांस्कृतिक परिवर्तन
विभिन्न छोटे राज्यों का प्रादुर्भाव, शुंग राज्य, कण्व, राज्य, आन्ध्र, सातवाहन साम्राज्य, वैदिक प्रतिक्रिया, पुनर्जीवित वैदिक धर्म का स्वरूप, शुंग सातवाहन युग का जीवन, राजनीतिक दशा, सामाजिक दशा, धार्मिक जीवन, आर्थिक जीवन, साहित्य, ललित कला
भारतीय संस्कृति को शकों और कुषाणों की देन
भारत पर शकों के आक्रमण और उनके राज्य, भारतीय संस्कृति को शकों की देन, पल्हव या पार्थियन, राज्य, कुषाणों का भारत में प्रवेश, कनिष्क, कनिष्क का धर्म, बौद्ध धर्म के लिए कनिष्क के कार्य, कुषाण युग में भारतीय संस्कृति, हीनयान और महायान धर्म, महायान धर्म के उद्भव के कारण, हीनयान और महायान सम्प्रदायों में भेद, महायान धर्म का महत्व
गुप्त-साम्राज्य और उसका महत्व
राजनीतिक विश्रृंखलता, विविध गणराज्य और विदेशी सत्ता से उनका संघर्ष, नाग-वंश के राज्य, नाग-राजाओं का महत्व, वाकाटक राज्य, वाकाटकों का महत्व, हिन्दू-संस्कृति और धर्म का पुनरुद्वार, गुप्त-साम्राज्य, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, विक्रमादित्य, गुप्त-वंश के अंतिम सम्राट, गुप्त-युग का इतिहास में महत्व, गुप्तकाल भारतीय इतिहास में स्वर्ण युग, स्वर्ण युग से तात्पर्य, गुप्त काल के स्वर्ण युग होने के कारण, गुप्तकालीन स्वर्ण-युग की विशेषताएँ
गुप्तयुगीन संस्कृति और जीवन
गुप्तकाल में बौद्धिक और कलात्मक अभिव्यक्ति के कारण, गुप्त-युग का शासन-प्रबन्ध और राजनीतिक दशा, केन्द्रीय शासन, प्रान्तीय शासन गुप्त युग में सामाजिक दशा, आर्थिक जीवन, धार्मिक जीवन, शिक्षा, सात्हिय, विज्ञान
गुप्तकालीन ललित कलाएँ
गुप्त-काल की ललित कलाओं की विशेषताएँ, स्थापत्य-कला, बौद्ध मंदिर, विहार, चैत्य और स्तूप, हिन्दू व बौद्ध गुफाएँ, बौद्ध मत की प्रतिमाएँ, मूर्तिकला, गुप्त युगीन, बौद्ध प्रतिमाओं की विशेषता, हिन्दू धर्म की मूर्तियाँ व पौराणिक मूर्तियाँ, गुप्त-युग की मूर्तिकला की विशेषताएँ, चित्रकला, अजन्ता, बाघ, संगीत, रंगमंच और अभिनय-कला, धातु-कला, मुद्रा कला
चीनी यात्रियों का भारत वर्णन
फाहियान, फाहियान द्वारा भारत का वर्णन, ह्वेनसांग और उसका भारत विवरण, ह्वेनसांग द्वारा भारत का विवरण, इत्सिंग का भारत विवरण
राजपूतयुगीन जीवन और संस्कृति
उत्तरी भारत के प्रान्तीय राज्य या राजपूत राज्य, राजपूतों की विशेषताएँ, राजपूतों के गुण, , राजपूतों के अवगुण, राजपूत-युग की संस्कृति और सभ्यता, राजनीतिक जीवन, सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, धार्मिक जीवन, शिक्षा और साहित्य, ललित कलाएँ, राजपूत-युग में कला की विशेषताएँ कला के दो युग, स्थापत्यकला या वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला
भारतीय संस्कृति और दक्षिण भारत
दक्षिण भारत, दक्षिण भारत की प्राचीनता, दक्षिण भारत की प्राकृतिक दशा और उसकी विविधता, दक्षिण भारत के प्रदेश, दक्षिण भारत की जातियाँ या नस्लें और भाषाएँ, द्रविड़ जाति का मूल निवास स्थान, दक्षिण भारत के राज्य, चालुक्य राज्य, देवगिरि का यादव राज्य, सुदूर दक्षिण भारत के राज्य, पाण्ड्य या पाण्डिय राज्य, चोल राज्य, चेर राज्य, पल्लव राज्य, कदम्ब राज्य, गंग राज्य, काकतीय राज्य, होयसल राज्य, तमिल संस्कृति, प्रागैतिहासिक काल में तमिल संस्कृति , तमिल के अंग, राजनीतिक जीवन, राजतंत्र, सामाजिक जीवन, आर्थिक जीवन, धार्मिक जीवन, साहित्य, तमिल साहित्य के विभिन्न युग, तमिलनाडु के मुदिर, पाण्डियकालीन मंदिर, विजयनगरकालीन मंदिर, नायककालीन मंदिर, पल्लव कालीन संस्कृति और जीवन, राजनीतिक जीवन, सामाजिक जीवन, शिक्षा और सात्हिय, कला, धार्मिक जीवन, चोल कालीन जीवन, व संस्कृति, चोल प्रशासन, सामाजिक जीवन, धार्मिक जीवन, चोल काल, साहित्य
बृहत्तोर भारत और हिन्दू संस्कृति का प्रसार
बृहत्तोर भारत, विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रसार के प्रमाण, भारतीय संस्कृति के प्रसार के साधन और कारण, भारतीय संस्कृति के प्रसार की विशेषताएँ, लंका, तिब्बत, नेपाल, भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में भारतीय संस्कृति का प्रसार, अफगानिस्तान, मध्य-एशिया के राज्य और भारतीय संस्कृति, काशगर, खोतान, कूचा, तुर्फान, दक्षिण-पूर्वी एशिया में भारतीय संस्कृति का प्रसार, वर्मा, स्याम या थाईलैण्ड चम्पा, फूनान, कुम्बज, मलाया, प्रायद्वीप, सुमात्रा और श्रीविजय राज्य, जावा या यवद्वीप, शैलेन्द्र साम्राज्य, वाली द्वीप, बोर्नियो, फिलीपाइन द्वीप समूह, चीन
प्राचीन भारत में शिक्षा
भारत की प्राचीन शिक्षा-पद्धति, वैदिक काल, बौद्ध युग, प्राचीन शिक्षा-पद्धति के उद्देश्य व विशेषताएँ, उपनयन संस्कार और ब्रह्मचर्य आश्रम, विद्यार्थी, गुरुकुल प्रणाली, गुरु और शिष्य का सम्बन्ध, शिक्षा-शुल्क, शिक्षा की अवधि, अध्ययन के विषय, पाठ्य-प्रणाली, अन्वेषण-कार्य, परीक्षाएँ, पदवियाँ एवं उपाधियाँ, स्त्री-शिक्षा, विशिष्ट शिक्षण संस्थाएँ, प्राचीन भारत के प्रसिद्ध विश्वविद्यालय, तक्षशिला, नालन्दा, महाविहार विश्व विद्यालय, वलभी, विक्रमशिला, ओन्दन्तपुरी, काश्मीर
प्राचीन भारत में स्त्रियों की दशा
वैदिक-युग में स्त्रियों की दशा, शिक्षा, विवाह, नियोग, विधवा-विवाह, सती-प्रथा, पर्दा, स्त्रियों केे व्यवसाय, धार्मिक कार्य, स्त्रियों का संपत्ति अधिकार
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