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प्राक् गुप्त काल (78 ई. से 319 ई. तक)

कुशाण साम्राज्य का उत्थान और पतन

कुशाण का अर्थ, कजुल कदफिसस, विम कदफिसस
विम की मुद्राओं की विशेषताएं
कनिश्क का तिथिक्रम
नवीन वंष
बौद्ध स्तूूप, चतुर्थ महासभा, संगीति, मुद्राएं
क. भारतीय देवता ख. यूनानी देवता ग. ईरानी देवता, नना एवं अरदोक्षों
कनिश्क के साम्राज्य का प्रषासन
कनिश्क के उत्तराधिकारी
वासिश्क, हुविश्क, कनिश्क द्वितीय, वासुदेव प्रथम, कनिश्क तृतीय एवं वासुदेव द्वितीय
साम्राज्य की क्षीणता के कारण
षाकवंष
उपसंहार
कुशाणों का प्रभाव और देन

कुशाणोत्तर उत्तरी भारत

अंध युग, जायसवाल की कल्पना,
गणराज्य - यौधेय, आर्जुनायन, कुणिन्द, मालव, उत्तम भद्र, मद्र, औदुम्बर, कुलूत
राजतंत्रात्मक राज्य - कौषाम्बी, पद्यावती, तथा मथुरा के नाग राजा, बड़वा के मौखरि,
देहरादून का षीलवर्मा, अयोध्या

पष्चिमी भारत के क्षत्रप

क्षहरात वंष, नहपान, कार्दमक वंष, जयदामा, रूद्रदामा
रूद्रदामा के उत्ताधिकारी दामजड, रूदसेन, संघदामा और दामसेन, यषोदामा प्रथम, विजयसेन,
दामजड़ तृतीय तथा रूद्रसेन द्वितीय, विष्वसिंह और भर्तृदामा
नवीन षक वंष का अभ्युदय, पष्चिमी भारत के षक
क्षत्रपों की वंषावली

सातवाहन साम्राज्य का उत्थान और पतन

सातवाहन वंष का महत्व, सातवाहन वंष के इतिहास का मूलस्त्रोत, सातवाहन वंष का तिथिक्रम
सातवाहनों का मूलस्थान वंष का नाम
सातकर्णी, जाति, आरंभिक सातवाहन राज्य का विस्तार एवं समृद्धि का युग
सिमुक/श्रीमुख, कण्ह कृश्ण, सातकर्णि प्रथम, सातकर्णि द्वितीय, हाल,
क्षत्रपों का आक्रमण तथा सातवाहन वंष की अवनति
सातवाहन साम्राज्य का पुनरूत्थान
गौतमीपुत्र श्री सातकर्णी, पुलुमायि द्वितीय, श्री सातकर्णि, षिव श्री पुलमावि, श्री षिवस्कंदसातकर्णि, श्री यज्ञ सातवाहन साम्राज्य के पतन के कारण
सातवाहन वंष की संस्कृति और सभ्यता
क. धार्मिक दषा, बौद्धधर्म, हिन्दुधर्म, ख. षासन पद्धति, ग. आर्थिक दषा, घ. विदेषी व्यापार
सातवाहन राजाओं की पुराणों में दी गई वंषावली

सातवाहन साम्राज्य के बाद का दक्खिन

वाकाटक वंष के आरंभिक राजा, वाकाटक साम्राज्य का महत्व, वाकाटकों का मूलस्थान, तिथिक्रम
विध्ंयषक्ति, सम्राट प्रवरसेन प्रथम, इक्ष्वाकुवंष, षांतमूल प्रथम, वीरपुरुशदत्त, षांतिमूल द्वितीय
बृहत्फलायन वंष, आभीर, बोधि, कोल्हापुर का कुरवंष, कुन्तल का चुटूवंष

दक्षिणी भारत

तमिल देष का स्वरूप और इतिहास के स्त्रोत, दक्षिणी भारत के इतिहास की विषेशताएं
भौगोलिक स्थिति - तीन राज्य - पाण्डय राज्य के राजा नेडुजेलियन, चोल राजा करिकाल चोल
चेर राज्य - चेर राज्य के राजा इमयवरम्बन, नेडुजीरल आदन, षेनगुटटवन

साहित्य का विकास

संस्कृत साहित्य
संस्कृत भाशा का उत्कर्श, संस्कृत साहित्य के विभिन्न अंग व्याकरण
स्मृतिगं्रथ 1. मनुस्मृति 2 याज्ञवल्क्य स्मृति 3. नारद स्मृति, 4 ब्रहस्पति स्मृति
महाकाव्य क. रामायण ख. महाभारत
काव्य नाटक, यूनानी प्रभाव की समीक्षा, दर्षन, बौद्ध दर्षन, बौद्ध दर्षन और धार्मिक साहित्य
जैन साहित्य, तमिल साहित्य, अगस्त्य की अनुश्रुति, संगम, तिथिक्रम एवं तमिल कविताएॅं

धार्मिक दषा

अवतरणिका, धार्मिक विकास की सामान्य विषेशताएं, हिन्दू धर्म को लोकप्रिय बनाने के उपाय
क. लोकप्रचलित देवताओं को वैदिक देवता बनाना ख. लोकप्रिय धर्म गंथों का निर्माण
ग. क्षत्रिय पुरुशों को देवता बनाना
हिन्दूधर्म, ब्राहमण धर्म का उत्कर्श, वैश्णवधर्म, उद्गम, वैश्णवधर्म का विकास
चतुव्र्यूह का सिद्धांत, चतुव्र्यूह पूजा, वैश्णव धर्म के के्रन्द, अन्य धर्मोें के साथ संबंध,
उपसंहार
षैव धर्म, षिवभागवत सम्प्रदाय, पाषुपत सम्प्रदाय, उत्तरी भारत में षैव धर्म की लोकप्रियता
षैव मूर्तियांॅ अन्य धार्मिक सम्प्रदाय, आजीवक सम्प्रदाय, सूर्य देवता, षाक्त सम्प्रदाय तथा षैव देवीदेवता, लक्ष्मी तथा श्री, नागपूजा, यक्षपूजा,
बौद्धधर्म, यूनानी षासन में बौद्ध धर्म, बौद्ध सम्प्रदायों का विकास
स्थविरवाद के विभिन्न सम्प्रदाय, महासंाघिक सम्प्रदाय और उसकी षाखाएं
कृषाण वंष के समय में बौद्ध धर्म, बौद्ध धर्म के आचार्य कनिश्ककालीन दार्षनिक सम्प्रदाय
महायान के अभ्युदय और विकास
नागार्जुन, महायान के सिद्धांत
1. भक्तिवाद, 2. बोधिसत्व और पारमिताओं का विचार 3 अलौकिक बुद्ध की कल्पना
नवीन दार्षनिक दुश्टिकोण, महायान की लोकप्रियता
हीनयान और महायान की तुलना
उपसंहार
जैन धर्म, ष्वेताम्बर तथा दिगम्बर सम्प्रदायों का विकास एवं कालकाचार्य

षासन पद्धति और राजनीतिक सिद्धांत

उत्तरी भारत षंुग षासन पद्धति, हिन्द यूनानी राजा क. केन्दीय षासन, ख. प्रांतीय षासन
षक पहलवों की षासन पद्धति, कुशाणों की षासन पद्धति, देवत्व की भावना, क्षत्रपों द्वारा षासन
गणराज्यों की षासन व्यवस्था, गणराज्य और महाभारत, संघीय षासन पद्धति सुधर्मा या देवसभा, दलबंदी, पारमेश्ठ्य षासन, संघ का मंत्रिमंडल, संधों के विभिन्न प्रकार, पूर्वी भारत, पष्चिमी भारत
दक्खिन, राजनीतिक सिद्धांत, राज्य की उत्पत्ति विशयक सिद्धांत, मात्स्य न्याय या समयवाद
राजा की दैवी उत्पत्ति का सिद्धांत, राजा की विषेशताएॅं और स्वरूप, मंत्रिपरिशद, प्रषासन की व्यवस्था,
कर ग्रहण, न्याय की व्यवस्था, विभिन्न प्रकार की षासन प्रणालियां और इनकी तुलना
उपसंहार

कला

स्तूप का स्वरूप और महत्व, भरहुत का स्तूप कल्पलता, बुद्धगया, सांची का स्तूप
स्तूप निर्माण की विभिन्न अवस्थाए,ॅं तोरण, मूर्तियों में अकिंत घटनायें, पर्वतीय चैत्य और विहार
चैत्यगृह की योजना, विहार, भाजा, कोण्डाने, अजंता, नासिक की गुहाएॅं, कार्ले, कन्हेरी कृश्णगिरी
उदयगिरि और खण्डगिरि की गुहाएं, रानी गुम्फा, गणेष गुम्फा, अनंत गुम्फा
आंध्र सातवाहन युग की कला अमरारवती और नागार्जुनी कोंडा
आंध्र पदेष की भौगोलिक पृश्ठभूमि, गुण्टपल्ले का पर्वतीय चैत्यग्रह, गोली स्तूप, जग्गयपेट का स्तूप, अमरावती, स्तूप का स्वरूप, अमरावती के स्तूप के विकास के चार काल
नागार्जुनी कोंडा, मथुरा की कला, स्तूप और वैदिका स्तंभ
जैन कला, हिन्दू मूर्तियां, यक्ष मूर्तियां, नागमूर्तियां, सम्राटों की मूर्तियां
बुद्ध मूर्ति का आविर्भाव, मथुरा की बुद्ध मूर्तियों की विषेशताएॅं, मथुरा की कला पर विदेशी प्रभाव
गांधार, दो षैलियां, गांघार कला के प्रमुख केन्द्र, कापिषी, गंधार कला के विकास की
अवस्थाएॅं तथा तिथिक्रम, बुद्ध की मूर्ति का विकास, गंाधार तथा मथुरा की बुद्ध मूर्तियों की तूलना
विदेषी प्रभाव
उपसंहार

आर्थिक दषा

समृद्धि का युग, मूल स्त्रोत क. साहित्यक ग्रंथ ख. विदेषी विवरण ग. पुरातत्वीय सामग्री, कृशि,
पषुपालन षिल्प तथा उद्योग धंधे श्रेणियां, श्रेणियों के कार्य, वस्त्रोद्योग, हाथीदांत का उद्योग,
धातवीय उद्योग, सोना, मुक्ता एवं रत्नोद्योग, आंतरिक व्यापार
व्यापारियों के दो वर्ग, सार्थ, बन्दरगाह, प्राचीन जलपोत
विदेषी वाणिज्य क. पष्चिमी जगत्, लालसागर के समुद्री मार्ग का विकास
ख. रोमन साम्राज्य के साथ भारत का व्यापार, हिप्पलास का आविश्कार तथा समुद्री मार्ग के
विकास की चार दषाएं, रोमन साम्राज्य के साथ व्यापार के प्रधान पण्य
मसाले और सुगधित द्रव्य, मोती, हाथीदांत, निर्यात, आयात
क. सोना चाॅंदी ख. दासियां ग. मूॅंगा, दक्षिण पूर्वी एषिया/सुवर्णभूमि के साथ व्यापार
चीन के साथ व्यापार क. स्थलीय मार्ग ख. समुद्री मार्ग
चीन से भारत आने वाले प्रधान द्रव्य
उपसंहार

सामाजिक दषा

सामाजिक जीवन का महत्व और विषेशताएॅं, वर्ण व्यवस्था, ब्राह्म्ण के कार्य एवं सामाजिक स्थिति
ब्राहमणों की महत्ता और विषेश अधिकार, क्षत्रिय, वैष्य, षूद्र
संकर जातियाॅं, जात्युत्कर्श तथा जात्यपकर्श, आश्रम धर्म, दास प्रथा, विदेषियों का भारतीयकरण
स्त्रियों की स्थिति, पत्नी की स्थिति, विधवा की स्थिति, पर्दा, गणिका,
विवाह के नियम, आमोद प्रमोद, उद्यान यात्रा, समस्या क्रीडा,
कन्याओं के मनोविनोद, प्रसाधन प्रियता, वेशभूषा और अलंकरण

विदेषों भारतीय संस्कृति का प्रसार

मध्य एषिया, भौगोलिक स्थिति और मार्ग, कौषेय पथ, मध्य एषिया की जनजातियाॅं
तुखारिस्तान द्वारा मध्य एषिया में भारतीय संस्कृति के प्रसार में योगदान
मध्य एषिया में भारतीय संस्कृति के प्रसार का श्रीगणेष
बौद्ध धर्म और संस्कृति के प्रधान केन्द्र, खोतन, कूचा, भारत का सांस्कृतिक प्रसार
मध्य एषिया के उपनिवेशक, मध्य एषिया जाने के मार्ग, मध्य एषिया का भारतीय साहित्य
टोनकिन, चीन में भारतीय संस्कृति और बौद्ध धर्म के प्रसार का उशः काल
चीन और भारत का प्राथमिक संपर्क, दक्षिण पूर्वी एषिया, सुवर्ण भूमि
उपनिवेषन के कारण, सुवर्ण भूमि के मार्ग,
परिवहन पथ, तीन प्रकार के उपनिवेष, फूनान, कौडिन्य द्वारा राज्य की स्थापना
कौडिन्य के उत्तराधिकारी, चम्पा, यव द्वीप

प्रसिद्ध घटनाओं का तिथि तथा वंषावली तालिकायें

1. गंधार प्रदेष 2. हिन्द यूनानी राजाओं की विजय के बाद का उत्तर भारत
3. यवनों, षकों, पहलवों और मुइचि जातियों के भारत पर आक्रमण एवं प्रवेष के मार्ग
4. 150 ई का भारत 5. षंुग सातवाहन युग के विदेषी राज्य 6 आंध्रों तथा पष्चिमी क्षत्रपों के प्रदेष
7. दक्षिणी भारत 8. आंध्र प्रदेष की भौगोलिक स्थिति और मार्ग 9 भारत और पष्चिमी जगत् के प्राचीन व्यापार मार्ग 10. मध्य एषिया के प्राचीन व्यापार पथ 11. पष्चिमी एषिया 12 मध्य एषिया