गुप्त काल (320 ई. पू. से 600 ई. तक)
गुप्तयुग का इतिहास में महत्व
ऐतिहासिक महत्व, विशाल साम्राज्य, राजनीतिक एकता, संगठन, एक छत्र शासन और शान्ति , सम्राटों में प्रजावस्सलता की भावना। आर्थिक समृद्धि और सम्पन्न नगरीय जीवन, हिन्दू धर्म का उत्कर्ष , हिन्दू साम्राज्य की स्थापना, भारतीय संस्कृति और संस्कृत साहित्य की प्रगति, ललित कलाओं तथा विज्ञान की उन्नति, भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति का प्रसार, सांस्कृतिक पुनरूद्वार और राजनैतिक पुनर्जीवन, गुप्तयुग हिन्दू नवाभ्युत्थान या पुनजार्गरण का काल नहीं, अपितु हिन्दुओं का पूर्ण विकसित परिप्लावित देदीप्यमान युग था।
गुप्तयुग के इतिहास के साधन स़्त्रोत
साहित्यिक ग्रंथ, धार्मिक ग्रंथ, ब्राम्हण धर्म के ग्रंथ, बौद्ध धर्म के ग्रंथ, जैन धर्म के ग्रंथ, लोैकिक ग्रंथ, काव्य ग्रंथ, कथा ग्रंथ, आचार-विचार ओैर नीति के ग्रंथ, आयुर्वेद ग्रंथ, ऐतिहासिक ग्रंथ, अभिलेख, निजी अभिलेख, राजकीय अभिलेख, स्तंभलेख, शिलालेख ताम्रलेख, गुप्त सम्राटों के अभिलेख, समसामयिक वंशो के अभिलेख, अभिलेखों का महत्व, मुद्राएॅं या सिक्के, मुहरें, स्मारक, मूर्तियां, मंदिर, स्तम्भ, गुहामन्दिर या चैत्यगृह, यात्रा विवरण, फाहियान, सुंगयुन, वांगह्नेन-त्से, ह्नेनसांग, इत्सिग, अलबरूनी।
गुप्त साम्राज्य के उदयकाल में भारत की राजनीतिक दशा
राजनीतिक विश्रृंखलता, विविध गणराज्य और विदेशी सत्ता से उन का संघर्ष, नागवंश के राज्य, विदिशा के नागराजा, पद्यावती के भारशिव नागराजा, मथुरा के नाग नरेश , और गुप्त सम्राट, नागराजाओं का महत्व, वाकाटक राज्य, वाकाटक नरेशों की उत्पत्ति, विंध्यशक्ति और वाकाटक राज्य का उत्थान, प्रवरसेन प्रथम, रूद्रसेन प्रथम, पृथवीसेन प्रथम, रूद्रसेन द्वितीय, प्रवरसेन द्वितीय, नरेन्द्रसेन, पृथ्वीसेन द्वितीय, बेसीम शाखा या वत्सगुल्म के वाकाटक, सर्वसेन, विन्ध्यशक्तिया विध्ंयसेन द्वितीय, प्रवरसेन द्वितीय, देवसेन, हरिश्ेाण या हरिसेन, वत्सगुल्म के वाकाटक साम्राज्य का पतन, वाकाटक सम्राटों की देन, गणतंत्रात्मक राज्य, लिच्छवी गणराज्य, ओंदुम्बर गणराज्य, कुणिन्द गणराज्य, कुलुट गणराज्य, शिवि गणराज्य, मुद्रक गणराज्य, यौधेय गणराज्य, अर्जुनायन गणराज्य, आभीर, मालव गणराज्य, उत्तमभाद्र, सनकानीक, अन्य गणराज्य, राजतंत्रात्मक राज्य, नागराज्य, वाकाटक राज्य, मौखरी राज्य, दश पुर/मन्दसौर का वर्मन राज्य, बंगाल और आसाम के वर्मन राज्य, अहिच्छत्र राज्य, अयोध्या का राज्य, कौशाम्बी का राज्य, अन्य राज्य, भारत में विदेशी राज्य, परवर्ती कुशाण राज्य शक राज्य, मुुरूण्ड।
गुप्त राजवंश की उत्पत्ति और प्राचीनता
गुप्तवंश की प्राचीनता, गुप्त सम्राटों का मूल निवास स्थान और उनका आदि राज्य, गुप्त नरेशों का वर्ण या जाति, ब्राम्हण वंश , वैश्य वंश , शूद्रवंश , क्शत्रियवंश , गुप्त नरेश आंध्र-भृत्य थे, गुप्त नरेश आर्य वर्ण व्यवस्था के बाहर थे, निष्कर्ष ।
गुप्त साम्राज्य का अभ्युदय और प्रारम्भिक गुप्त नरेश
गुप्त राजवंश का आदिपुरूश गुप्त राजवंश का आदिपुरूश श्रीगुप्त श्रीगुप्त का शासन काल, श्रीगुप्त सामन्त नरेश , गुप्त मुरूण्ड नरेशों के अधीन, गुप्त नरेश शकों के अधीन, गुप्त नरेश लिच्छवियों के अधीन, श्रीगुप्त का राज्य क्षेत्र , घटोत्कच, घटोत्कच गुप्तवंश का आदिराज, महाराज घटोत्कच और घटोत्कच-दोनों में भिन्नता, घटोत्कच का शासन काल, चन्द्रगुप्त प्रथम, चन्द्रगुप्त प्रथम के लिच्छवियों से वैवाहिक सम्बन्ध के प्रमाण, चन्द्रगुप्त के समय लिच्छवियों का महत्व, चन्द्रगुप्त का लिच्छवि राजकन्या से विवाह, लिच्छवियों से वैवाहिक सम्बन्ध का महत्व, चन्द्रगुप्त प्रथम की विजयें और राज्य विस्तार, चन्द्रगुप्त प्रथम का राज्य त्याग, गुप्त संवत, गुप्तसंवत और वलभी संवत एक है, गुप्त संवत और विक्रम संवत दोनों ही प्रथक हैं, मालव संवत और विक्रम संवत एक ही हैं, गुप्त संवत का प्रवर्तक, गुप्त संवत लिच्छावियों का है और गुप्त नरेशों ने उसे अपना लिया, गुप्त संवत समुद्रगुप्त ने प्रारम्भ किया, गुप्तसंवत चन्द्रगुप्त प्रथम ने प्रारम्भ किया, चन्द्रगुप्त प्रथम के राज्यारोहण से गुप्त संवत का प्रारम्भ।
काचगुप्त
काचगुप्त, चन्द्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति में विद्रोह ओर गृहयुद्ध की झलक, काचगुप्त की मुद्राओं की प्राप्ति, काच नाम युक्त मुद्राओं की विशेषताएं , काच की मुद्राओं के आधार पर निष्कर्ष , काचगुप्त चन्द्रगुप्त द्वितीय के पहिले का नरेश था, काचमुद्राएॅं घटोत्कच ने प्रसारित नहीं कीं, काच मुद्राएं चन्द्रगुप्त प्रथम ने प्रसारित नहीं कीं, काच मुद्राओं पर वैश्णव धर्म के प्रतीक चिन्हों का महत्व, काच मुद्राओं के प्रसारण में विभिन्न मत -
1. काचगुप्त समुद्रगुप्त का भाई था और काच की मुद्राएं स्मारक मुद्राएं हैं,
2. काचगुप्त रामगुप्त का नाम है और काच मुद्राएं रामगुप्त की हैं,
3. गुप्त नरेशों के एक से अधिक नाम थे, काचगुप्त रामगुप्त का अतिरिक्त नाम था और काच मुद्राएं रामगुप्त की हैं
4. काचगुप्त समुद्रगुप्त का ही दूसरा नाम था और काच नाम युक्त मुद्राएंॅ समुद्रगुप्त की हैं
5. काच गुप्तवंश का नहीं अपितु कोई बाहरी घुसपैठिया था, काचगुप्त समुद्रगुप्त का भाई था, निष्कर्ष ।
गुप्त साम्राज्य का उत्कर्ष, समुद्रगुप्त के राज्य काल के इतिहास के साधन, अभिलेख प्रयाग प्रश स्ति, एरण प्रश स्ति, ताम्रपत्र, नालन्दा का ताम्रपत्र अभिलेख, गया का ताम्रपत्र अभिलेख, मुद्राएं या सिक्के, गरूड़ध्वज अंकित मुद्राएं, धनुर्धर मुद्राएं, कृतांत परश ु मुद्राएं, अश ्वमेघ मुद्राएं व्याघ्रनिहंता मुद्राएं, गंधर्व ललित/वीणा वादन मुद्राएॅं, मुद्राओं का महत्व, मुद्राओं का भारतीयकरण, समुद्रगुप्त के जीवन चरित्र गुणों पर प्रकाश , समुद्रगुप्त के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश ।
समुद्रगुप्त की दिग्विजय
समुद्रगुप्त उत्तराधिकारी मनोनीत, गृहयुद्ध और समुद्रगुप्त की विजय, समुद्रगुप्त की दिग्विजय समुद्रगुप्त की विजय योजना, समुद्रगुप्त की विजय नीति, समुद्रगुप्त की प्रथम आर्यावर्त विजय, आर्यावर्त, आर्यावर्त के राजाओं से प्रथमयुद्ध और विजय, अच्छुत, नागसेन, कोत-कुलज, कोशाम्बी या पाटलिपुत्र का युद्ध, युद्ध के परिणाम, समुद्रगुप्त की दक्षिण विजय, समुद्रगुप्त के दक्षिण अभियान और विजय की विशेषताएं , दक्षिण अभियान और विजय का कारण, समुद्रगुप्त के दक्षिण अभियान का मार्ग, दक्षिण भारत के परास्त नरेश , कोश ल का महेन्द्र, महाकान्तार का व्याघ्रराज, कौरल का मण्टराज, पिश्टपुर का महेन्द्र गिरी, कोटटूर का स्वामिदत्त, एरण्ड पल्ल का दमन, कांची का विश्णु गोप, अवमुक्त का नीलराज, वेंगी का हस्तिवर्मन, पल्लक या पालक का उग्रसेन, देवराश्ट्र का कुबेर, कोस्थलपुर या कुस्थलपुर का धनजंय, दक्षिण के राजाओं की दल बंदियां और युद्ध, दक्षिण अभियान का प्रभाव, समुद्रगुप्त और वाकाटक नरेश , आर्यावर्त की द्वितीय विजय, रूद्रदेव, मतिल, नागदत्त, चन्द्रवर्मा, गणपति नाग, नागसेन, अच्युत, नन्दि, बलवर्मा, आर्यावर्त के अन्य परास्त नरेश , आटविक नरेशों पर विजय, सीमांत राज्यों के प्रति समुद्रगुप्त की नीति, पांच प्रत्यन्त राज्य, नौ गणराज्य, समुद्रगुप्त और विदेश ी राज्य, विदेशी राज्यों के साथ समुद्रगुप्त की नीति, विदेशी राज्य, दैवपुत्र-शाही-शाहानुशाही, श क मुरूण्ड सिंहल द्वीप, सर्व द्वीपवासी, समुद्रगुप्त का साम्राज्य
समुद्रगुप्त का मूल्याकंन
अश्वमेघ यज्ञ, समुद्रगुप्त के विरूद्, समुद्रगुप्त का शासन काल, समुद्रगुप्त का मूल्यांकन, प्रतिभावान गुण-सम्पन्न-सम्राट, सुखी, स्वस्थ, सम्पन्न और स्नेही व्यक्ति, महान योद्धा और सेनानायक, महान विजेता, कुशल दूरदर्शी राजनीतिज्ञ, सफल शासक, प्रजावत्सल सम्राट, धर्मपरायण व सहिश्णु सम्राट, निपुण संगीतज्ञ, कला और साहित्य का अनुरागी एवं आश्रयदाता, समुद्रगुप्त का इतिहास में महत्व, समुद्रगुप्त एवं चन्द्रगुप्त मौर्य, समानताएं, असमानताएं, समुद्रगुप्त और अशोक महान, समानताएॅं, असमानताएॅं, समुद्रगुप्त भारत का नेपोलियन, सम्राट नेपोलियन, समानताएॅं, असमानताएॅं, समुद्रगुप्त का प्रयाग स्तम्भ अभिलेख ।
रामगुप्त
रामगुप्त, प्रमाण, साहित्यिक प्रमाण, देवी चंद्रगुप्तम नाटक, हर्शचरित, हर्शचरित पर टीका, काव्य मीमांसा, श्रृंगार-प्रकाश , मुजमल-उत-तवारीख, आयुर्वेद दीपिका टीका, राजवली, अभिलेख प्रमाण, संजन का ताम्रपत्र अभिलेख, खम्बात का ताम्र अभिलेख, सांगली का ताम्रलेख, बिलसद का स्तम्भ अभिलेख, वैशाली का लेख, रामगुप्त और शक नरेश का युद्ध-स्थल, रामगुप्त का शक शत्रु कौन, मुद्राओं के प्रमाण, रामगुप्त की मुद्राएॅं, अभिलेखों के प्रमाण, जैन प्रतिमाओं की चरण पीठिका के अभिलेख, प्रमाणों की समीक्षा , रामगुप्त के कथानक के विरूद्ध संदेहों ओैर आपत्तियों का निराकरण, निष्कर्ष चन्द्रगुप्त द्वितीय, विक्रमादित्य, दिग्विजय
चन्द्रगुप्त द्वितीय के इतिहास के साधन, साहित्यिक साधन, कालिदास के विभिन्न ग्रंथ-श्रृंगार-प्रकाश और औचित्य विचार-चर्चा, फाहियान का यात्रा विवरण, पुरातत्वीय साधन, अभिलेख, मथुरा का स्तम्भ लेख, मथुरा का शिलालेख , उदयगिरि का प्रथम गुफा लेख, उदयगिरि का द्वितीय गुफा लेख, गढवा का शिलालेख , सांची का शिलालेख , मेहरौली के लौह-स्तम्भ की प्रशस्ति, मुद्राएॅं, चंद्रगुप्त के उत्तराधिकारी होने का निर्णय, चंद्रगुप्त द्वितीय का राज्यारोहण, चंद्रगुप्त के विभिन्न नाम और उपाधियां, चंद्रगुप्त के वैवाहिक संबंध और परिवार, नागराज वंश से वैवाहिक संबंध, वाकाटक राजवंश से वैवाहिक संबंध, कदम्ब राजवंश से वैवाहिक संबंध, चंद्रगुप्त द्वितीय के राज्यारोहण के समय राजनीतिक दशा , चंद्रगुप्त द्वितीय की नीति, चंद्रगुप्त द्वितीय की दिग्विजय, शक विजय, शक विजय के प्रमाण, शक विजय की अवधि, शक विजय के परिणाम, वाल्हीक विजय, बंग विजय, बंग-विजय के परिणाम, दक्षिण विजय, प्रभाति/चंद्रगुप्त द्वितीय का साम्राज्य अश्वमेघ यज्ञ
चंद्रगुप्त द्वितीय, विक्रमादित्य, का शासन काल
चंद्रगुप्त की मुद्राएॅं, स्वर्ण मुद्राएॅं, धनुर्धुर भांति की मुद्राएॅं, सिंह निहंता मुद्राएॅ, अश्वारूढ़ मुद्राएॅं, छत्र मुद्राएॅ, पर्यक मुद्राएॅ, पर्यकासीन राजदम्पत्ति मुद्राएॅं, ध्वजधारी मुद्रा, चक्र विक्रम मुद्रा, रजत मुद्राएॅं, ताम्र मुद्राएॅ, छत्रधारी मुद्रा, धनुर्धारी मुद्रा, उध्र्वकाय मुद्रा, चक्र मुद्रा, कलश मुद्रा, चंद्रगुप्त की मुद्राओं की विश ेशताएॅं, धुव्रस्वामिनी की मुहर, चंद्रगुप्त की राजधानियाॅं, चंद्रगुप्त द्वितीय की शासन -व्यवस्था, एकतंत्र राजसत्तात्मक शासन , लोक-कल्याणकारी राज्य, सम्राट, मंत्रि-परिशद, विभिन्न प्रमुख अधिकारी, न्याय-व्यवस्था और दण्ड-विधान, उद्योग-व्यवसाय और व्यापार, विनिमय और मुद्राएॅ, दानविभाग, धार्मिक उदारता, प्रान्तीय श ासक, चंद्रगुप्त द्वितीय का मूल्याकंन, महान सेनानायक और विजेता, उच्चकोटि का राजनीतिज्ञ और कूटनीतिज्ञ, उदार धर्मनिश्ठ और सहिश्णु सम्राट, साहित्य कला का उदार संरक्श क, इतिहास में चंद्रगुप्त का स्थान। फाहियान, फाहियान के भारत भ्रमण का उदद्ेश ्य, फाहियान की यात्रा का मार्ग, फाहियान द्वारा भारत का वर्णन, राजनीतिक दशा , सामाजिक दशा , धार्मिक दशा , पाटलिपुत्र, आर्थिक दशा , दक्षिण भारत, चंद्रगुप्त द्वितीय का शासन काल
गोविंदगुप्त
गोंविदगुप्त, गोंविदगुप्त का राज्यारोहण और शासन , प्रमाण, मंदसौर का मालव संवत 524 का अभिलेख, समीक्श ा, देवगढ़ मंदिर का स्तंभ अभिलेख, तत्पादानुध्यात का अर्थ
कुमारगुप्त प्रथम, महेन्द्रादित्य
कुमारगुप्त प्रथम के शासन काल के इतिहास के साधन, अभिलेख, बिलसद का स्तम्भ अभिलेख, गढ़वा के तीन अभिलेख, उदयगिरी गुहा अभिलेख, मथुरा का जैन मूर्ति अभिलेख, तुमैन का शिलालेख , करमदण्डा श िवलिंग लेख, मनकुंवर बुद्ध मूर्ति लेख, मथुरा का मूर्ति अभिलेख, सांची का अभिलेख, मंदसौर शिलालेख , ताम्रपत्र, धनैदह का ताम्रलेख, दामोदरपुर के दो ताम्रलेख, कुलाईकुरी का ताम्रलेख, ब्रैग्राम ताम्रलेख, कुमारगुप्त के राज्य शासन के प्रारंभिक वर्श, साम्राज्य का विस्तार, पुश्यमित्रों का आक्रमण, पुश्यमित्रों की पहिचान, कुमारगुप्त प्रथम का वाकाटकों से संबंध, कुमारगुप्त का चीन के साथ संबंध, अश ्वमेघ यज्ञ, कुमारगुप्त की मुद्राएॅं, चन्द्रगुप्त प्रथम की मुद्राओं का पुननिर्माण और प्रचलन, राजा-रानी वर्ग की मुद्राएॅं, समुद्रगुप्त की मुद्राओं के अनुकरण पर मुद्रा प्रचलन, चन्द्रगुप्त द्वितीय की मुद्राओं के अनुकरण पर मुद्रा-प्रचलन, कुमारगुप्त की मौलिक मुद्राएॅं, स्वर्ण मुद्राएॅं, कुमारगुप्त की रजत मुद्राएॅं, गंगा घाटी की रजत मुद्राएॅं, पश ्चिम भारत की रजत मुद्राएं, कुमारगुप्त की ताम्र मुद्राएं, कुमारगुप्त का अवसान, कुमारगुप्त के शासन काल की अवधि, कुमारगुप्त प्रथम का शासन प्रबंध, कुमारगुप्त का मूल्यांकन, कुमारगुप्त का व्यक्त्तिव एवं उसकी सद्गुण सम्पन्नता, विद्वानों का संरक्श क सम्राट, वीर यश स्वी सम्राट, सफल और कुश ल श ासक, सार्वजानिक हित और दान पुण्य के कार्य, धर्मनिश्ठ सहिश्णु सम्राट, कुमारगुप्त प्रथम का इतिहास में स्थान
घटोत्कच
उत्तराधिकार की समस्या, कुमारगुप्त प्रथम के चार पुत्र, घटोत्कच प्रमाण, बसाढ़ मुहर, तुमैन अभिलेख, मुद्राएॅ, पुरूगुप्त, प्रमाण भितरी मुहर, नालन्दा मुहरें, बिहार का स्तम्भ लेख, स्कन्दगुप्त, प्रमाण, भितरी स्तम्भ लेख, चन्द्रगुप्त तृतीय, क्या पुरूगुप्त और स्कन्दगुप्त एक ही व्यक्ति है़? समीक्श ा, स्कन्दगुप्त का राजसिंहासन पर वैध अधिकार नहीं था, स्कन्दगुप्त की माता के नाम का लेख में अभाव, स्कन्दगुप्त वंश से नहीं, स्तुतियों से श्रेश्ठ, स्कन्दगुप्त के लिए ‘तत्पादानुध्यात’ का उपयोग नहीं, स्कन्दगुप्त को गुप्त वंश का बताने का प्रयास, समीक्श ा, कुमारगुप्त के शासन काल की अंतिम तिथि गुप्त संवत 130, स्कन्दगुप्त के राज्यकाल के प्रारम्भ की तिथि गुप्त संवत 136, गुप्त संवत 130 से 136 की अवधि में गुप्त राजसिंहासन पर कौन था? कुमारगुप्त प्रथम के बाद पुरूगुप्त उत्तराधिकारी ? कुमारगुप्त प्रथम के बाद घटोत्कच उत्तराधिकारी
स्कन्दगुप्त
स्कन्दगुप्त के शासन काल के इतिहास के साधन, अभिलेख, जूनागढ श िला-अभिलेख, कहांव का अभिलेख, सुपिया स्तम्भ अभिलेख, इंदौर का ताम्रपत्र, भितरी स्तम्भ अभिलेख, गढ़वा का अभिलेख, मुद्राएंॅ, उत्तराधिकार का युद्ध, प्रमाण, भितरी अभिलेख, जूनागढ अभिलेख, राजा और लक्श ्मी प्रकार की मुद्राएॅं, समीक्श ा, स्कन्दगुप्त राजोचित वीरता व प्रतिभावाला राजकुमार, स्कन्दगुप्त वैधानिक उत्तराधिकरी, बाह श त्रु, राजलक्श ्मी द्वारा पति के रूप में चुना जाना, ‘पितृ-परिगत-पाद-पद्यवर्ती’ स्कन्दगुप्त के गुणों का वर्णन, आर्य मंजुश्री मूलकल्प का विवरण, निष्कर्ष , पुश्यमित्रों, म्लेच्छों और हूणों पर विजय, नाग-नृपति की सत्ता का उन्मूलन, गोंविदगुप्त का विद्रोह ? पश ्चिमी गुप्त साम्राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और विघटन, स्कन्दगुप्त के शासन काल का उत्तराद्र्व, स्कन्दगुप्त का साम्राज्य, स्कन्दगुप्त के शासन काल की अवधि, स्कन्दगुप्त कंे विरूद्व या उपाधियां, स्कन्दगुप्त की मुद्राएॅं, स्वर्ण मुद्राएॅं, रजत मुद्राएॅं, स्कन्दगुप्त का मूल्यांकन, वीर योद्धा, पराक्रमी सेनानायक और महान विजेता, श्रेश्ठ सदगुण सम्पन्न, सुयोग्य और सफल श ासक, धर्मनिश्ठ और सहिश्णु सम्राट, इतिहास में स्कन्दगुप्त का स्थान
पुरूगुप्त
गुप्त नरेश की वंश ावली, स्कन्दगुप्त व पुरूगुप्त के दो प्रतिस्पर्धी गुप्त राजवंश , पुरूगुप्त और स्कन्दगुप्त एक ही नरेश , पुरूगुप्त का शासन काल
निर्बल उत्तराधिकारी और गुप्त साम्राज्य का अपकर्श
कुमारगुप्त द्वितीय, बुधगुप्त, प्रमाण, अभिलेख, सारनाथ की दो बुद्ध मूर्तियों के अभिलेख, पहाड़पुर ताम्रपत्र अभिलेख, वाराणसी के राजघाट का स्तम्भ अभिलेख, दामोदरपुर का (तृतीय) ताम्रपत्र अभिलेख, एरण का स्तम्भ अभिलेख, दामोदरपुर का(चतुर्थ)ताम्रपत्र अभिलेख, नंदपुर का ताम्रपत्र अभिलेख, परिव्राजक महाराज हस्तिन का अभिलेख, बुधगुप्त की मोहर, बुधगुप्त की मुद्राएॅं बुधगुप्त का शासन काल, बुधगुप्त का साम्राज्य, विघटन की प्रवृति और राजनैतिक प्रभुता व आधिपत्य का हास, बुधगुप्त का महत्व, चन्द्रगुप्त तृतीय, तथागत गुप्त (प्रकाश ादित्य), वैन्यगुप्त, वैन्यगुप्त के शासन काल के इतिहास के साधन, वैन्यगुप्त का शासन काल, वैन्यगुप्त का राज्य, वैन्यगुप्त की धर्म परायणता और धार्मिक सहिश्णुता, वैन्यगुप्त का शासन प्रबंध, भानुगुप्त, नरसिंहगुप्त बालादित्य, नरसिंह गुप्त के शासन काल के इतिहास के साधन, नरसिंहगुप्त बालादित्य की मिहिरकुल पर विजय, हूण आक्रमण और युद्ध के परिणाम, नरसिंहगुप्त बालादित्य का धर्म और जन कल्याण के कार्य, नरसिंहगुप्त बालादित्य का राज्य-त्याग, इतिहास में नरसिंहगुप्त बालादित्य का स्थान, कुमारगुप्त तृतीय, विश्णुगुप्त
गुप्त साम्राज्य के अभ्युदय, उत्थान और पतन के कारण
अभ्युदय व उत्थान के कारण, विभिन्न अश क्त और निश्प्रभ राज्यः श िथिल श क्तिहीन विदेश ी राज्यः वीर, साहसी, रणकुश ल महत्वाकांक्श ी गुप्त सम्राटों की दिग्विजयंे: एक छत्र सुदृढ़ संगठित प्रशासन , राजनीतिक और सांस्कृतिक नव जागरणः गुप्त सम्राटों की उदार, सांस्कृतिक, साहित्यिक और धार्मिक नीति, धन-धान्य की प्रचुरता, गुप्त साम्राज्य के पतन और अवनति के कारण, पतन के आतंरिक कारण और परिस्थितियाॅ, अयोग्य और दुर्बल नरेश , उत्तराधिकार के नियम की अवहेलना, विश ेश अधिकार वाले प्रांतपति, सामंतवाद, आर्थिक विपिन्नता दृढ़ सीमांत नीति का प्रभाव, श्रेश्ठ परराश्ट्र नीति का त्याग, दोशपूर्ण शासन -व्यवस्था, अंतिम गुप्त सम्राटों द्वारा बोैद्धधर्म अंगीकार करना, बाह्य कारण और परिस्थितियाॅं, नवीन साम्राज्यवादी श क्तियों का उदय, पुश्यमित्रों और हूणेां के आक्रमण
हूण और उनके आक्रमण
हूणों का उद्भव और प्रसार, हूणों की श ाखाएॅं, पश ्चिमी श ाखा के हूण, पूर्वी श ाखा के हूण, ईरान (फारस) पर हूणों के आक्रमण और युद्ध, भारत पर हूणों के आक्रमण, हूणों के इतिहास के साधन, अभिलेख, जूनागढ अभिलेख, भितरी अभिलेख, एरण से प्राप्त वराह मूर्ति अभिलेख, भानुगुप्त का एरण अभिलेख, यश ोवर्मन का मन्दसौर का स्तम्भ अभिलेख, मिहिरकुल का ग्वालियर का अभिलेख, कुरा(पंजाब)का तोरमाण का अभिलेख, हरहा अभिलेख, अफसढ़ का शिलालेख , मुद्राएॅ, साहित्यिक ग्रन्थ, महाभारत, रघुवंश , चान्द्रव्याकरण, कथा सरित्सागर, हर्शचरित, कुवलयमाला, नीति वाक्यामृत, आर्य मंजुश्री मूलकल्प, राजतंरगिणी, जैन ग्रन्थ, यूनानी भिक्श ु कॅास्मॅास इंडिको प्ल्युस्टिस, चीनी यात्रियों के विवरण, सुंगयुन, हेनसांग, भारत में हूणों के आक्रमण, हूण नरेश तोरमाण, भानुगुप्त की हूणों पर विजय, मिहिरकुल, मिहिरकुल के पश ्चात हूण राजसत्ता, हूणों के पतन के कारण, भारत पर हूण ओर उनके आक्रमणों के प्रभाव
गुप्तयुग की शासन -व्यवस्था और राजनीतिक दशा
शासन -व्यवस्था की जानकारी के साधन, साहित्यिक साधन, कालिदास के ग्रन्थ, पंचतंत्र, कामन्दकीय नीतिसार, स्मृति ग्रन्थ, पुरातत्वीय साधन, अभिलेख, मुद्राएॅ और मुहरें, गुप्त शासन व्यवस्था की विश ेशताएॅ, केन्द्रीय शासन , राजा या सम्राट, राजा के गुण व कर्तव्य, अधिकार, निरंकुश ता का अभाव, साम्राज्ञी, उपाधियां, राजकुमार और उत्तराधिकार का नियम, सम्राट की सभा या परिशद, मंत्रि-परिशद, सचिवालय और विविध-विभाग, विभिन्न अधिकारी और कर्मचारी गण, कुमारामात्य, केन्द्रीय शासन के विभिन्न विभाग, अधिकारी और न्याय-व्यवस्था, दंड-विधान, सैनिक व्यवस्था, आरक्श ी व्यवस्था, या पुलिस-विभाग, विदेश ी विभाग, धर्म विभाग, कृशि विभाग, लोक कल्याण के कार्य, राज्य की आय के मुख्य स्त्रोत, कर मुक्ति, राज्य की आय का व्यय, प्रांतीय शासन , देश और भुक्ति, विषय और विषय पति वीथी, पैठक या पेठ, ग्राम, स्थानीय स्वशासन , नगर शासन , ग्राम शासन गणराज्यों में शासन , सांमत प्रणाली, गुप्त शासन प्रणाली का महत्व
गुप्तयुगीन सामाजिक जीवन
नवीन युग, साधारण जनता की सुख-समृद्धि, उच्च नैतिकता और सदगुण सम्पन्नता, विदेशियों का भारतीय समाज में विलीनीकरण, वर्ण-व्यवस्था और जाति-प्रथा, क्शत्रिय, वैश्य, शूद्र, अन्त्यज, वन्य जातियाॅं, कायस्थ, वर्णों का पारस्परिक संबंध और व्यवसाय परिवर्तन, वर्णस्तर, वर्ण संकर जातियाॅ, दास-प्रथा, परिवार, विवाह-प्रणाली, स्त्रियों की दशा , सामाजिक प्रथाएॅ, परदा छुआछूत, वेश्यावृत्ति, अंधविश्वास, खान-पान, सामाजिक आचरण और सदाचार, वेशभूशा और आभूशण, उत्सव, मनोरंजन
आर्थिक जीवन और सम्पन्नता
कृशि, सिंचाई, वन-सम्पदा, खनिज-सम्पत्ति, जल-सम्पदा, उद्योग-धंधे और व्यापारियों और श िल्पियों की श्रेणियों और व्यवसायिक संघ, श्रेणियों और निगमों के विधि-विधान और कार्य, ऋण और ब्याज, व्यापार-वाणिज्य,स्थल मार्ग, जल मार्ग, आयात और निर्यात, विनिमय और मुद्राएॅ, नगर-जीवन, नगर के भवन व राजप्रासाद, नगर के धन-सम्पन्न नागरिक का विलासी जीवन, ग्रामीण जीवन
धार्मिक जीवन
गुप्त सम्राटों का धर्म, धार्मिक स्वतन्त्रता, सहिश्णुता ओैर उदारता, उदात्त दानशीलता और धर्मपरायणता, धर्म का नवीन स्वरूप, ब्राम्हण धर्म, वैश्णव धर्म, शैव धर्म, बहुदेववाद, ब्रम्हा, स्कन्द-कार्तिकेय, गणेश , सूर्य, इंद्र, अग्नि, वरूण, यम, कुबेर, शेषनाग , यक्श , विद्याधर और किन्नर, सिद्ध और गण, देवी उपासना, विविध मंदिर, मूर्तियां और उनकी पूजा, भक्ति की प्रधानता, बौद्ध धर्म, जैन धर्म, दर्शन, सांख्य और योग दर्शन, वैशेशिक और न्याय दर्शन, पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा दर्शन,जैन दर्शन, बोैद्ध दर्शन सर्वास्तिवाद या वैभाशिक, सौत्रांतिक, योगाचार, माध्यमिक दर्शन या शून्यवाद हीनयान और महायान सम्प्रदायों में भेद, महायान धर्म का महत्व
शिक्षा और साहित्य
शिक्षा का प्रारम्भ, गुरू शिष्य ओर उसकी दिनचर्या, गुरू शिष्य का सम्बन्ध, शिक्षा के विषय , स्त्री-शिक्षा , बौद्ध शिक्षा -व्यवस्था, तकनीकी (टेकनिकल) विषयों की शिक्षा , शिक्षा के स्वरूप, शिक्षण संस्थाएॅ, नालंदा, वलभी, घटिका, साहित्य, गुप्त नरेशों के पूर्व संस्कृत साहित्य का अविरल प्रवाह, संस्कृत का उत्कर्ष और कारण, ललित साहित्य, समुद्रगुप्त, प्रवरसेन, मातृगुप्त, प्रश स्तिकार, हरिशेण, वीरसेन शाब, वत्सभटिट, वासुल, रवि शान्ति , प्रसिद्ध कवि ओर उनके ग्रन्थ, कालिदास, भारवि, भटिट्, भर्तृमेण्ठ, बुद्धघोश, भौमक, दंडिन, शतककार कवि, नाटककार, सौमिल्ल और कविपुत्र, भास, कालिदास, धीरनाग, शूद्रक, विशाखदत्त, वज्जिका, कथा साहित्य, अवदान, आर्यशूर, विश्णुशर्मा(विश्णुश र्मन), दंडी, सुबन्धु, गुणाढ़य, अलंकार, व्याकरण और कोशग्रन्थों के रचयिता, भामह, वराहमिहिर, चन्द्रगोमी, भर्तृहरि, वररूचि और चन्द्र, कात्यायन ओर अमरसिंह, नीति के ग्रंथ, कामान्दकीयनीतिसार, वात्स्यायन का कामसूत्र, धार्मिक साहित्य, पुराण, स्मृतिग्रंथ, याज्ञवल्क्य स्मृति, नारद स्मृति, पाराशर स्मृति, बृहस्पति स्मृति, कात्यायन स्मृति, व्यास स्मृति दार्श निक ओर उनके ग्रंथ, सांख्य दर्शन के ग्रंथ, योगदर्श न के ग्रंथ, न्याय दर्शन के ग्रंथ, वैशेशिक दर्शन के ग्रंथ, पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा के ग्रंथ, ब्राम्हण धर्मशास्त्रों का संशोधन और परिवर्धन, विज्ञान, गणित, ज्योतिश, आर्यभटट, वराहमिहिर, पृथुयशस, कल्याण वर्मा, ब्रम्हागुप्त, रसायन-विज्ञान और धातुविज्ञान, चिकित्सा-विज्ञान/आयुर्वेद, शिल्प विज्ञान बौद्ध साहित्य, योगाचार सम्प्रदाय के आचार्य और दार्शनिक, मैत्रेयनाथ, असंग, वसुबंघु, आचार्य स्थिरमति, दिग्नाग चन्द्रगोमिन, धर्मपाल, माध्यमिक सम्प्रदाय के आचार्य और दार्शनिक, स्थविर बुद्धपालित, भावविवेक, चन्द्रकीर्ति, वैभाशिक सम्प्रदाय के आचार्य ओर दार्शनिक, मनेाकरथ संघभद्र, स्थविर संप्रदाय के आचार्य और दार्शनिक, बुद्धघोश, बुद्धदत्त, धम्मपाल, चीन में बौद्ध आचार्य और दार्शनिक, गोैतमसंधदेव, बुद्धयश , गुणवर्मा, धर्मक्शेम, कुमारजीव, परमार्थ, जिनगुप्त, धर्मगुप्त, जैन साहित्य, सिद्धसेन दिवाकर, समन्तभद्र, सिद्धसेन गणि, देवनन्दि, प्राकृतभाशा साहित्य, तमिल साहित्य
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